नासिक से चुनाव लड़ना चाहता था, तैयारी भी शुरू कर दी थी, लेकिन...छगन भुजबल का छलका दर्द
छगन भुजबल ने कहा, मैं नासिक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को तैयार था। मुझे बताया गया था कि दिल्ली में मेरा टिकट फाइनल हो गया है, मैंने काम करना शुरू कर दिया था।
छगन भुजबल
Chhagan Bhujbal: लोकसभा के बाद राज्यसभा टिकट से भी वंचित कर दिए गए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता और महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल का दर्द शुक्रवार को एक बार फिर छलक उठा। भुजबल ने कहा कि उनकी इच्छा सांसद बनने की है और इसीलिए वह नासिक क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे और राज्यसभा नामांकन के लिए भी उत्सुक थे। भुजबल इन खबरों को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राकांपा अध्यक्ष अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को उच्च सदन के लिए उम्मीदवार बनाए जाने के बाद वह परेशान थे।
सुनेत्रा पवार ने भरा पर्चा
यह पूछे जाने पर कि क्या लोकसभा और राज्यसभा टिकट को लेकर उनके साथ अन्याय हुआ है, प्रमुख ओबीसी नेता ने कहा कि यह सवाल 'उनसे' पूछा जाना चाहिए। सुनेत्रा पवार ने गुरुवार को आगामी राज्यसभा उपचुनाव के लिए एनसीपी उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल किया। इससे पहले वह बारामती से लोकसभा चुनाव हार गई थीं। फरवरी में प्रफुल्ल पटेल द्वारा अपनी सीट खाली करने और उनके छह साल के पूर्ण कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद उपचुनाव होगा।
कहा, मैं नासिक से चुनाव लड़ने को तैयार था
भुजबल ने कहा, यह मेरी इच्छा है (सांसद बनने की)। इसीलिए मैं नासिक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को तैयार था। मुझे बताया गया था कि दिल्ली में मेरा टिकट फाइनल हो गया है, मैंने काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन जब फैसला (नाम की घोषणा) एक महीने तक खिंच गया, तो मैंने काम बंद कर दिया क्योंकि काफी अपमान हो चुका था। उन्होंने कहा कि भाजपा नीत महायुति गठबंधन में एनसीपी की सहयोगी शिवसेना के हेमंत गोडसे भी नासिक से टिकट के लिए कोशिश कर रहे थे। भुजबल ने कहा कि उन्होंने तब फैसला किया कि जिसे भी टिकट मिलेगा, वह खुश रहेंगे। नासिक सीट पर शिवसेना (यूबीटी) के राजाभाऊ वाजे को जीत मिली।
क्या एनसीपी में वंशवाद की राजनीति
भुजबल ने कहा कि जब पार्टी के मामलों की बात आती है, तो सभी चीजें किसी एक की इच्छा के अनुसार नहीं होती हैं। उन्होंने कहा कि (उन्हें टिकट न देने के) कुछ कारण हो सकते हैं। कभी-कभी, यह नियति या कोई मजबूरी होती है। जब उनसे पूछा गया कि क्या एनसीपी में वंशवाद की राजनीति हो रही है, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इससे पहले गुरुवार को भुजबल ने कहा था कि वह राज्यसभा टिकट के लिए उत्सुक थे, लेकिन वह सुनेत्रा पवार को उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज नहीं हैं और यह पार्टी का सामूहिक निर्णय था।
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