फिर जेल जाएंगे बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन? रिहाई के खिलाफ जी. कृष्णैया की पत्नी पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट
1994 में जी. कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी। तब जी. कृष्णैया बिहार के गोपालगंज जिले के जिलाधिकारी हुआ करते थे। जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन को 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई। जिसे बाद में पटना हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया।
बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका दिवगंत आईएएस जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने दाखिल की है। उन्होंने आनंद मोहन की रिहाई के आदेश को रद्द करने की मांग की है।
मिली थी फांसी की सजा
1994 में जी. कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी। तब जी. कृष्णैया बिहार के गोपालगंज जिले के जिलाधिकारी हुआ करते थे। जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन को 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई। जिसे बाद में पटना हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया।
कैसे हुए रिहा
इसके बाद हाल ही में बिहार सरकार ने कानून में एक संशोधन किया, जिसके कारण आनंद मोहन जेल से रिहा हो गए। आनंद मोहन का नाम उन 20 कैदियों में शामिल है, जिन्हें जेल से रिहा करने के लिए राज्य के कानून विभाग ने इस हफ्ते की शुरूआत में एक अधिसूचना जारी की थी क्योंकि वे जेल में 14 वर्षों से अधिक समय बिता चुके हैं। बिहार जेल नियमावली में राज्य की महागठबंधन सरकार द्वारा 10 अप्रैल को संशोधन किये जाने के बाद सजा घटा दी गई, जबकि ड्यूटी पर मौजूद लोकसेवक की हत्या में संलिप्त दोषियों की समय पूर्व रिहाई पर पहले पाबंदी थी।
पत्नी की अपील
जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने याचिका में दलील दी है कि गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को सुनाई गई उम्रकैद की सजा उनके पूरे जीवनकाल के लिए है और इसकी व्याख्या महज 14 वर्ष की कैद की सजा के रूप में नहीं जा सकती। उन्होंने उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा-"जब मृत्यु दंड की जगह उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, तब उसका सख्ती से पालन करना होता है, जैसा कि न्यायालय का निर्देश है और इसमें कटौती नहीं की जा सकती।"
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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