IEC 2023: 'इंडिया के पास संस्कार-मूल्यों का तड़का, यह हमें बहुत आगे ले जाएगा', बोले वेदांता के अनिल अग्रवाल- पर आज लोगों में सब्र नहीं

IEC 2023: अनिल अग्रवाल ने टाइम्स नेटवर्क के इंडिया इकनॉमिक कॉनक्लेव में बताया- मैं अपने जमाने में रात भर आईडिया पर सोच-विचार करता था। अगले दिन जाकर अपने लोगों के बीच जब उन्हें उत्साह से बताता था तो वे कहते थे कि यह क्या आईडिया है! (अजब और खराब के संदर्भ में) मैं उनके फीडबैक सुनकर टूट जाता था, पर आज मैं जब खराब आईडिया लेकर जाता हूं तब लोग वाह-वाह करते हैं। यह बदलाव आया है।

वेदांता रिसोर्सेज के संस्थापक और चेयरमैन अनिल अग्रवाल।

IEC 2023: वेदांता रिसोर्सेज (Vedanta Resources) के संस्थापक और चेयरमैन अनिल अग्रवाल ( Anil Agarwal) ने कहा है कि हिंदुस्तान के पास संस्कार और नैतिक मूल्यों का ऐसा तड़का है, जो इंडिया को बहुत आगे तक लेकर जाएगा। हालांकि, मौजूदा समय के लोगों में सब्र नहीं है। ये बातें उन्होंने 'टाइम्स नेटवर्क' के 'इंडिया इकनॉमिक कॉनक्लेव 2023' में टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नविका कुमार के साथ बातचीत के दौरान कहीं। स्टार्ट-अप्स के संदर्भ में (तब और अब में) पूछे गए सवाल पर अग्रवाल ने बताया, "17 साल तक की उम्र में जब मैं रेल की सवारी करता था, तब कभी मैं मेन दरवाजे (गेट) से कभी नहीं घुस पाया। इतनी भीड़ रहती थी कि हमेशा खिड़की से ही घुसना पड़ता था। आज ईश्वर की कृपा है कि सारी सुविधाएं हैं। पहले कुछ पता नहीं चलता था, पर आज कुछ भी होता सब कुछ सामने आ जाता है।"

'उद्यमी हमें अमेरिका से आगे लेकर जाएंगे'

वह आगे बोले- जब आजादी मिली तब टाटा-बिड़ला दो ही नाम और कोई नाम नहीं था। सरकार को तब आना पड़ा और कहना पड़ा कि यह हमारे मंदिर हैं। उन्होंने 300-400 उद्योग लगाए, पर वह दौर खत्म हो गया। हमें यह महसूस करना होगा कि उद्यमी हमें अमेरिका से आगे लेकर जाएंगे। हमारे पास संस्कार और नैतिक मूल्य हैं। हमारे समाज में लोग अपने बड़ों का सम्मान करते हैं और पैर छूते हैं। यह जो तड़का है...यह चीज हमें दूर तक लेकर जाएगा। हमारे समय में चीजें बहुत कठिन था। हमारे पास खोने को कुछ नहीं था।

तो यह था अनिल अग्रवाल का सबसे बड़ा झूठ!

कार्यक्रम में अपने सबसे बड़े झूठ के बारे में बताते हुए उन्होंने खुलासा किया, "मेरी जब शादी हो रही थी तब मैंने होने वाली पत्नी को खूब सपने दिखाए। मैंने उससे कहा था कि मेरा मुंबई में घर है, जबकि असल में मैं बहुत ही सामान्य जिंदगी जी रहा था। चूंकि, मेरी शादी करने की बहुत इच्छा है, इसलिए मैंने उससे झूठ बोला था। बाद में पत्नी मुंबई आई तो उसने देखा कि मैं तो 300 स्क्वायर फुट के फ्लैट में रहता हूं और मेरे पास फिएट की गाड़ी है...यही मेरा सबसे बड़ा झूठ था।"

दुनिया चाहती है कि हम सिर्फ...

बकौल अग्रवाल, "अब के बच्चों में सब्र नहीं है। जिसके पास साइकिल है, उसे स्कूटर चाहिए। जिसके बाद स्कूटर है, उसे कार चाहिए। हमारी महिलाओं को आज गैस चाहिए, वे लकड़ी पर खाना नहीं बना सकती हैं। आज के लोगों में सब्र नहीं है। सरकार के सामने चुनौती है कि उनके पास समय नहीं है। हमें समझना होगा कि हमको तेजी से आगे बढ़ना है। आज दुनिया नहीं चाहती है कि हिंदुस्तान संसाधन विकसित करे...निर्यात आधारित रहे। दुनिया चाहती है कि हम स्मार्टफोन-लैपटॉप बनाओ, लेकिन चिप (सेमीकंडक्टर) हमसे हो। यह कैसे हो सकता है? हम खुद सेमी कंडक्टर बनाएंगे।"

युवाओं के लिए भारत में ये चीजें हैं जरूरी

उन्होंने आगे बताया- युवाओं को आज के समय में तीन-चार चीजें चाहिए। अगर 15 साल के बच्चे को स्मार्टफोन और लैपटॉप मिल गया तो वह जॉब ढूंढ लेगा। अब वो जमाना चला गया, जब मार-पीट के बच्चों को वकील-डॉक्टर बनाया जाता था। अब लिब्रल आर्ट्स का समय है। 15 साल के बच्चों को स्मार्टफोन, लैपटॉप और स्कूटी बहुत कीफायती कीमत पर मिलने चाहिए। यह चीज हमारे देश को बहुत विकसित करेगी।

अनिल अग्रवाल के संबोधन की बड़ी बातेंः

  • चिप्स (सेमीकंडक्टर) और डिस्प्ले ग्लास हमारे लिए दो बड़ी चीजें हैं।
  • स्कूटी, स्मार्टफोन और लैपटॉप सारे युवाओं के पास हों।
  • मैं युवाओं से हमेशा कहता हूं कि पहले उद्यमी के लिए काम करो, फिर सीखो, पर सीधे उद्यमी मत बनो।
  • इंडिया बदलने वाला है...आने वाला समय युवाओं का है।
  • मैंने ऐसी विफलताएं देखीं हैं, जिनसे रातें तक नहीं कटती थीं।
  • 13-14 साल की उम्र तक मैं कभी कार में नहीं बैठा था।
  • हमारे समय में पारदर्शिता नहीं हुआ करती थी, पर आज है।
  • मैं अपने मुल्क को विकसित देश के नाते देखना चाहता हूं।

पैनल के दूसरे स्पीकर्स ने क्या बताया?

अग्रवाल के साथ इस पैनल में जेरोधरा (Zerodha) के संस्थापक और सीईओ नितिन कामथ (Nithin Kamath) और कारदेखो समूह (CarDekho Group) के सह-संस्थापक और सीईओ अमित जैन (Amit Jain) भी थे। कामथ ने बताया कि आज के समय में उद्यमियों की कद्र और स्वीकार्यता है। भारत और उसके विकास के लिए यह बहुत जरूरी था। आज मेरे घर-परिवार और दोस्त यारों में जब कोई स्टार्ट-अप करता है, तब उन्हें कोई रोकता नहीं है। यह नहीं कहता कि इस काम (स्टार्ट-अप) को मत करो, जबकि जैन ने कहा- भारत में लोगों की महत्वाकांक्षाएं अधिक हैं। आज छोटे-छोटे शहरों से आने वाले लोग करोड़ों रुपए का मुनाफा पैदा कर रहे हैं। न्यू इंडिया में लोगों के सपने बड़े हो गए हैं और मुझे इस बात पर गर्व है।
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