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दिवाली के दिन दिल्ली की हवा आठ साल में रह सकती है सबसे बेहतर, जानिए कैसे

Pollution in Delhi on Diwali: पटाखों से जुड़े प्रतिबंध पर अमल हुआ तो दिवाली के दिन दिल्ली की हवा आठ साल में सबसे बेहतर रह सकती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में पिछले साल दिवाली पर एक्यूआई 312, 2021 में 382, 2020 में 414, 2019 में 337, 2018 में 281, 2017 में 319 और 2016 में 431 दर्ज किया गया था।

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दिवाली के दिन कैसी रहेगी दिल्ली की हवा?

Delhi News: अगर पटाखा संबंधी सख्त प्रतिबंधों पर अमल किया गया तो रविवार को दिवाली के दिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता आठ वर्ष में सबसे बेहतर रह सकती है। दिल्लीवासियों की सुबह साफ आसमान और खिली धूप के साथ हुई और शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह सात बजे 202 रहा, जो कम से कम तीन सप्ताह में सबसे अच्छा है। एक्यूआई शून्य से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 450 के बीच 'गंभीर' माना जाता है। एक्यूआई के 450 से ऊपर हो जाने पर इसे 'अति गंभीर' श्रेणी में माना जाता है। एक दिन पहले यानी शनिवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 220 था, जो आठ वर्षों में दिवाली से एक दिन पहले सबसे कम रहा।

दिवाली पर कैसी रहेगी दिल्ली की हवा?

इस बार, दिवाली से ठीक पहले दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में तेज सुधार देखा गया। इसकी सबसे बड़ी वजह शुक्रवार को रुक-रुक हुई बारिश और प्रदूषकों को उड़ा ले जाने के लिहाज से अनुकूल हवा की गति का होना है। जबकि, बृहस्पतिवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 437 था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में पिछले साल दिवाली पर एक्यूआई 312, 2021 में 382, 2020 में 414, 2019 में 337, 2018 में 281, 2017 में 319 और 2016 में 431 दर्ज किया गया था।

कई दिनों तक छाई रही दमघोंटू धुंध

शहर में 28 अक्टूबर से दो सप्ताह तक हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ तक रही और इस अवधि के दौरान राजधानी में दमघोंटू धुंध छाई रही। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पहले ही पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण हल्की बारिश सहित अनुकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण दिवाली से ठीक पहले हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार का पूर्वानुमान जताया था। पश्चिमी विक्षोभ के कारण पंजाब और हरियाणा सहित उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में बारिश हुई, जिससे दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली के जलाने से निकलने वाले धुएं का योगदान कम हो गया।

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