SC ने नहीं मिली राहत तो राजनीतिक 'दूल्हा' नहीं बन पाएंगे राहुल, इतने वर्ष करना होगा इंतजार

Rahul Gandhi News: क्या राहुल गांधी की राजनीति पर मोदी सरनेम मानहानि केस पूरी तरह ग्रहण लगा देगा। यह बड़ा सवाल है। गुजरात हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद अब उनकी नजर सुप्रीम कोर्ट पर होगी। अगर सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिलती है तो वो सजा भुगतने के 6 साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

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मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से भी राहत नहीं

Rahul Gandhi News: 2019 में कर्नाटक के कोलार में चुनावी प्रचार में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि सारे मोदी सरनेम (Modi surname defamation case) वाले चोर क्यों होते हैं। उनके इस बयान के बाद सूरत वेस्ट के बीजेपी विधायक ने केस दर्ज कराया। निचली अदालत में करीब चार साल कर मुकदमा चला। दोनों पक्षों की तरफ से तर्क पेश किए गए। हालांकि उस लड़ाई में राहुल गांधी की हार हुई। अदालत ने दोषी माना और 2 साल की सजा सुना दी। उसका असर यह हुआ कि केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी की सदस्यता चली गई। लेकिन उनके पास बचाव के लिए कानूनी विकल्प मौजूद थे और उन्होंने सजा पर रोक लगाने के लिए गुजरात हाईकोर्ट की तरफ रुख किया। गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat highcourt) ने शुक्रवार यानी 7 जुलाई को जो फैसला सुनाया वो राहुल गांधी और कांग्रेस (congress) दोनों के लिए दुखदायी थी। हाईकोर्ट ने भी उन्हें दोषी मानते हुए सजा को बरकरार रखा। अब राहुल गांधी के सामने सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है।

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तो 2034 तक करना होगा इंतजार

अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला खिलाफ जाता है तो राहुल गांधी को फैसले के दिन से दो साल तक सजा भुगतनी होगी। अब मान लें 2023 में ही सुप्रीम कोर्ट से निर्णायक फैसला आता है तो दो साल की सजा 2025 में पूरी होगी और उसके बाद 6 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। यानी कि 2031 तक एक्टिव राजनीति पर विराम लग जाएगा। सामान्य परिस्थिति में 2024, 2029 के बाद 2034 में चुनाव होगा। यानी कि राहुल गांधी को सामान्य तौर पर 11 वर्ष का इंतजार करना होगा। राजनीति में जहां हर एक पल का अपना महत्व होता है वहां 11 साल का इंतजार कितना मायने रखेगा उसे समझा जा सकता है। हालांकि यह स्थिति तब बनेगी जब वो राहत नहीं पाएंगे। लेकिन इससे बड़ा सवाल यह है कि विपक्षी एकता किस तरह प्रभावित होगी।

क्या कहते हैं जानकार

अब सवाल यह भी है कि पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद लालू प्रसाद यादव ने राहुल गांधी की तरफ मुखातिब होते हुए कहा था कि अब आप शादी कर लीजिए हम सब लोग बाराती बनेंगे तो वो बात सिर्फ सामान्य शादी तक सीमित नहीं थी। जानकार बताते हैं कि वो राजनीतिक तौर पर संदेश दे रहे थे कि हम सबको मिलकर राष्ट्रीय दल के बैनर तले एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए। लेकिन अगर राहुल गांधी के सियासी दुल्हा बनने में अदालती ब्रेक लगता है तो तस्वीर क्या होगी। इस विषय पर जानकार कहते हैं कि सियासत नदी की धार की तरह जो हमेशा चलायमान है। एक कुशल नाविक जो पतवार के साथ अपनी नाव को नदी की धारा में उतारता है तो उसे पता होता है कि कितनी दूर जाकर वो अपने आपको किनारे पर जा सुरक्षित कर लेगा। यह बात सच है कि अगर फैसला राहुल गांधी के खिलाफ आता है तो मोदी हटाने की मुहिम को झटका आंतरिक तौर पर लगेगा। इसके साथ ही बीजेपी यह धारणा बनाने में कामयाब होगी कि कांग्रेस और गांधी परिवार का मतलब ही देश की बर्बादी है, इनसे मुक्त होना बेहद जरूरी है।

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ललित राय author

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