चंद्रमा पर मजे से सो रहा विक्रम लैंडर, जागना चाहता है तो जागने दें...बोले ISRO प्रमुख
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने चेन्नई में एक प्रेस वार्ता के दौरान चंद्रयान -3 मिशन और विक्रम लैंडर के बारे में कई जानकारियां साझा कीं।



चंद्रयान-3 मिशन
Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान -3 मिशन के जरिए चंद्रमा पर ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो,) आगामी मिशनों की तैयारी में जुट गया है। इन मिशनों में पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के साथ-साथ मंगल, शुक्र और चंद्रमा पर जाने की योजना भी शामिल है। इन मिशनों के अलावा इसरो पृथ्वी की जलवायु और मौसम की स्थिति का अध्ययन करने के लिए तैयार किए गए मिशनों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
चंद्रमा पर मजे से सो रहा विक्रम
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने चेन्नई में एक प्रेस वार्ता के दौरान चंद्रयान -3 मिशन और विक्रम लैंडर के बारे में कई जानकारियां साझा कीं। जब 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरे चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर की मौजूदा स्थिति के बारे में सवाल किया गया, तो सोमनाथ ने बताया कि लैंडर ने चंद्र दिवस के दौरान अपने कार्यों को बेहतरीन तरीके से पूरा किया था। उन्होंने कहा कि अब यह चंद्रमा पर मजे से सो रहा है। इसने अपना काम बहुत अच्छे से किया है। हो सकता है कि अगर वह जागना चाहे, तो उसे जागने दें। तब तक हम इंतजार करेंगे।
अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य
गगनयान कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है, एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। सोमनाथ ने घोषणा की कि इस कार्यक्रम के लिए पहली टीवी-डी1 परीक्षण उड़ान 21 अक्टूबर को निर्धारित है। सोमनाथ ने कहा कि हमारे पास अन्वेषण मिशन हैं। हमारी मंगल, शुक्र और फिर चंद्रमा पर जाने की योजना है। इन खगोलीय मिशनों के अलावा, इसरो कई वैज्ञानिक मिशनों पर भी सक्रिय रूप से काम कर रहा है। इनमें संचार और रिमोट-सेंसिंग उपग्रहों का विकास शामिल है। अंतरिक्ष एजेंसी एरोनॉमी, थर्मल इमेजिंग और जलवायु परिवर्तन प्रभाव मूल्यांकन जैसी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक जांचों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
आदित्य-एल1 सही दिशा में
आदित्य-एल1 के बारे में एस सोमनाथ ने बताया कि इसके उपकरणों को चालू कर दिया जाएगा और यह वैज्ञानिक डेटा स्ट्रीमिंग करना शुरू कर देगा। अभी तक आदित्य-एल1 सही दिशा में है। यह पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर स्थित लैग्रेंज बिंदु L1 तक पहुंचने के लिए 110 दिनों की यात्रा पर है। मिशन का उद्देश्य इस प्वाइंट से सूर्य का निरीक्षण करना है, जिससे सौर गतिविधि और अंतरिक्ष मौसम की जानकारी मिल सकेगी। इसके जनवरी के मध्य तक अपने गंतव्य तक पहुंचने की उम्मीद है।
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