धर्म छोड़ा तो फिर जाति पर आरक्षण क्यों, हिंदू से मुस्लिम या ईसाई बने तो नहीं होगा कोटे का फायदा?
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए साफ किया है। कि जो पहले दलित थे लेकिन अपना धर्म बदल कर इस्लाम या ईसाई धर्म अपना लिया वो दलिता नहीं रह जाते। इसलिए उनको भी आरक्षण मिलना चाहिए। नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण (Reservation) का संवैधानिक आधिकार केवल हिंदू, सिख या बौध धर्म के लोगों को है।
क्या जो लोग धर्म बदल आरक्षण लेने चाहते हैं उनको भी आरक्षण (Reservation) मिलना चाहिए । यह सवाल इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए साफ किया है। कि जो पहले दलित थे लेकिन अपना धर्म बदल कर इस्लाम या ईसाई धर्म अपना लिया वो दलिता नहीं रह जाते। लिहाजा उनको आरक्षण का अधिकार नहीं है। फिलहाल sc के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का संवैधानिक आधिकार केवल हिंदू, सिख या बौध धर्म के लोगों को है।
सरकार ने दलील दी है कि पहले अनुसुचित जाति के लोगों का ईस्लाम या ईसाई धर्म अपनाने का कारण छुआछूत की कलंक से मुक्ति पाना होता था । लेकिन ईस्लाम और ईसाई में जाति आधारित भेदभाव तो है नहीं । इसके अलावा केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि सबको आरक्षण नहीं दिया जा सकता । इससे आरक्षण पाने वालों के अधिकार प्रभावित होंगे। वहीं AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार के दिल की बात जुबान पर आ गई।
तो आज सवाल उठता है कि
धर्म छोड़ा...फिर जाति पर आरक्षण क्यों?
जिस धर्म में छुआछूत नहीं...वहां आरक्षण क्यों?
धर्मांतरण के लिए दलितों को भड़काया जाता है?
जब धर्म बदल लिया, फिर आरक्षण का लालच क्यों?
ओवैसी जाति के खिलाफ...लेकिन आरक्षण से क्यों प्यार?
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