यह है IIT का कमाल! इस चीज़ ने घटा दिए 30% तक Road Accidents
साल 2012 और वर्ष 2018 के बीच दुर्घटनाओं की एक जांच से पता चला कि 23% घातक दुर्घटनाएँ और 53% गैर-घातक दुर्घटनाएं गाड़ियों के बीच, रेलिंग से टकराने या दूसरी तरफ लुढ़कने के कारण हुईं थीं।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
यमुना एक्सप्रेस-वे पर 2021 की तुलना में इस साल सड़क हादसों में 32 फीसदी तक की कमी आई है। अक्टूबर तक के डेटा से पता चला है कि इस तरह की दुर्घटनाओं में मरने वालों और घायल होने वालों की संख्या में क्रमशः 22 फीसदी और 36 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। अफसरों ने माना है कि इस तरह के हादसों में कमी लाने में आईआईटी-दिल्ली के सुझाए कदमों ने मदद की, जो उसने अपनी सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट में दिए थे। संबंधित खबरें
हमारे सहयोगी अखबार टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए पिछले कुछ महीनों में यमुना एक्सप्रेस (दुर्घटनाओं के लिए कुख्यात) पर डिवाइडर के दोनों किनारों पर तीन बीमों (Thrie Beams) की स्थापना, एंट्री और एग्जिट प्वॉइंट पर इंपैक्ट एटिनियुएटर्स और शोल्डर गार्डरेल्स की री-लेयिंग होते देखी गई थी।संबंधित खबरें
अफसरों के अनुसार, इन बीम्स ने दुर्घटना के बाद वाहनों को सड़क के दूसरी ओर गिरने से बचाने में मदद की थी। लगभग 50% घातक दुर्घटनाओं में डिवाइडर से टकराने वाले पीड़ितों को दूसरी तरफ पार करने के बाद अन्य वाहनों ने कुचल दिया था। वैसे, इस साल अक्टूबर तक एक्सप्रेस-वे पर 91 लोगों की जान चली गई, जबकि 549 लोग घायल हुए थे। साल 2021 में इसी अवधि के दौरान 364 दुर्घटनाओं में 116 लोगों की मौत हुई थी और 846 लोग घायल हुए थे।संबंधित खबरें
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) के सीईओ अरुण वीर सिंह ने कहा, “आईआईटी-दिल्ली के सुरक्षा ऑडिट के आधार पर, एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए छूटग्राही की ओर से कई निवारक उपाय किए गए हैं। प्रमुख परिवर्तनों में से एक मुख्य कैरिजवे के बीच तीन बीम के साथ कांटेदार तारों को लगाना था। साथ ही 165 किमी एक्सप्रेस-वे पर 86 पुलों से बसों और अन्य वाहनों को गिरने से रोकने के लिए सुरक्षा उपाय भी किए गए।संबंधित खबरें
41% घातक और 33% गैर-घातक दुर्घटनाओं को 'रियर-एंड इम्पैक्ट्स' के रूप में दर्ज किया गया था, जबकि घातक और गैर-घातक दोनों दुर्घटनाओं के 21% के पीछे रफ्तार को जिम्मेदार पाया गया था। नींद या थकान भी स्पीडवे पर दुर्घटनाओं का एक अन्य प्राथमिक कारण था। बाद में आईआईटी टीम ने अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए रेलिंग और मीडियन को बैरियर से बदलने का सुझाव दिया। इसने रोड साइनेज, मार्किंग में सुधार और सड़क सुरक्षा नियमों के प्रवर्तन को तेज करने की भी सलाह दी थी।संबंधित खबरें
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अभिषेक गुप्ता author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
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