BMD AD-1 Missile: हवाई सुरक्षा वाली इस मिसाइल में नया क्या है? स्वदेशी सुरक्षा कवच बनाने के करीब भारत
BMD Interceptor AD-1 Air Defense Missile: एस-400 और थाड जैसी प्रतिष्ठित वायु रक्षा प्रणाली की तरह भारत के पास स्वदेशी बैलेस्टिक मिसाइल शील्ड बनाने का अपना सपना है, जो तेजी से साकार होने की दिशा में बढ़ रहा है। इसी क्रम में बीते 2 नवंबर को एक नए तरह की मिसाइल AD-1 का परीक्षण डीआरडीओ की ओर से किया गया है।
प्रतीकात्मक तस्वीर
मुख्य बातें
डीआरडीओ ने 2 नवंबर को किया था एडी 1 मिसाइल का टेस्ट।
1500 से 3 हजार किलोमीटर तक वायु रक्षा करने की क्षमता।
आकाश मिसाइल से बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम तक का सफर।
1500 से 3 हजार किलोमीटर तक वायु रक्षा करने की क्षमता।
आकाश मिसाइल से बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम तक का सफर।
भारत ने नवंबर महीने की शुरुआत के साथ रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और तकनीकी दक्षता का नया अध्याय जोड़ते हुए, एक नए मिसाइल सिस्टम का परीक्षण किया। पहले चरण की सीमित रेंज वाली वायु रक्षा प्रणाली विकसित करने के बाद मध्यम मारक क्षमता वाले मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें उड़ीसा के पास डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से टेस्ट के दौरान AD-1 नाम की एक मिसाइल का प्रयोग किया गया। यह परीक्षण भारत के बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) कार्यक्रम के फेज-2 यानी दूसरे चरण का हिस्सा है।संबंधित खबरें
एडी-1 मिसाइल सिस्टम के महत्व और जरूरत को समझने के लिए हमें बीते समय में आई कुछ खबरों पर गौर करना चाहिए, जिनसे पता चलता है कि भारत के लिए इस तरह की वायु रक्षा प्रणाली अपने लिए विकसित करना कितना जरूरी है।संबंधित खबरें
एडी-1 मिसाइल टेस्ट
अमेरिका के थाड सिस्टम में दिलचस्पी: साल 2019 में भारत ने अपने एयर डिफेंस के लिए जब अमेरिका का थाड (THAAD) यानी थिएटर हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए बातचीत शुरू की तो इसकी कीमत पर आकर बात अटक गई। रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्रणाली की एक यूनिट के लिए ही करीब 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा की कीमत चुकानी पड़ती है जो भारत जैसे सीमित संसाधन वाले देश के लिए एक महंगा सौदा है।संबंधित खबरें
एस-400 सिस्टम की डील: साल 2018 में बदलते सुरक्षा वातावरण में तात्कालिक जरूरत को देखते हुए भारत ने रूस से 5.4 बिलियन डॉलर की कीमत में S-400 सिस्टम की 5 यूनिट खरीदने का सौदा किया था हालांकि बड़े स्तर पर रूस से भी इस तरह के सिस्टम खरीदना बेहद महंगा सौदा है।संबंधित खबरें
आयरन डोम की क्षमता: साल 2021 में हुए एक तनावपूर्ण संघर्ष में पूरी दुनिया को साफ तौर पर एक वायु रक्षा प्रणाली की अहमियत का अहसास तब हुआ, जब फिलिस्तीन स्थित एक कट्टरपंथी संगठन हमास ने सैकड़ों और हजारों की संख्या में रॉकेट इजरायल की तरफ दाग दिए। हमले के कुछ ही घंटों बाद सोशल मीडिया इस तरह के वीडियो से भर गया जहां एक तरफ से इजरायल की धरती पर रॉकेट आग की तरह बरस रहे थे और दूसरी तरफ से आयरन डोम नाम का मिसाइल डिफेंस सिस्टम उन्हें एक एक करके हवा में ही तबाह कर रहा था। इस सिस्टम की गैर मौजूदगी में इजरायल कितने बड़े विनाश से गुजरता इसका अनुमान लगाना संबंधित खबरें
रूस-यूक्रेन युद्ध: मौजूदा समय में जारी इस सैन्य संघर्ष में भी वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग दोनों पक्षों की ओर से बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इस तरह के सिस्टम की मौजदूगी सुरक्षा और तबाही के बीच का अंतर तय करती है। ऐसे में भारत के लिए भी पाकिस्तान और चीन की चुनौतियों को देखते हुए ऐसे ही सिस्टम पर काम करना बेहद जरूरी है। संबंधित खबरें
बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) शील्ड: इस तरह के सिस्टम को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य होता है किसी भी खतरनाक, अंजान या हमले की इच्छा से उड़ान भरने वाली मिसाइल या किसी विमान या ड्रोन को नुकसान पहुंचाने का मौका देने से पहले ही हवा में नष्ट कर देना। इस प्रणाली को कई चरणों में विकसित किया जाता है। भारत ने पहला चरण पूरा कर लिया है, जहां पृथ्वी और अन्य मिसाइलों में कुछ जरूरी बदलाव करके उन्हें हवाई सुरक्षा के लिए तैयार करके, परीक्षण और फिर तैनात किया गया हालांकि इसकी मारक क्षमता सीमित है, जिसमें दुश्मन मिसाइल के हवा में बेहद करीब आने के बाद ही नष्ट करना संभव हो पाता है।संबंधित खबरें
दूसरे चरण के तहत जिस AD-1 मिसाइल का परीक्षण किया गया है, उसकी मारक क्षमता 1500 से 3000 किलोमीटर दूरी तक लक्ष्य साधने की है। इसके बाद तीसरे चरण में भारत ऐसे सिस्टम को विकसित करने पर जोर देगा, जिसमें बेहद लंबी दूरी तक जाने वाली मिसाइल का विकास होगा और इसके बाद बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस शील्ड नाम की इस इस वायु रक्षा प्रणाली के विकास को पूरा माना जाएगा।संबंधित खबरें
AD-1 मिसाइल: एडी-1 एक लंबी दूरी की इंटरसेप्टर मिसाइल है, जिसे लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ विमान के कम एक्सो-वायुमंडलीय और एंडो-वायुमंडलीय क्षेत्र दोनों में लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पहली नजर में बूस्टर से लैस यह मिसाइल अपने आप में एक बिल्कुल नई मिसाइल लगती है जोकि पृथ्वी मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम से काफी अलग है।संबंधित खबरें
मिसाइल दो चरणों वाली ठोस ईधन मोटर से संचालित होती है और एक स्वदेशी रूप से विकसित उन्नत नियंत्रण प्रणाली, एक नेविगेशन और गाइडेंस एल्गोरिदम से लैस है जो इसे बहुत तेज गति से चलने वाले लक्ष्यों तक सटीकता से पहुंचने और मार गिराने में सक्षम बनाता है।संबंधित खबरें
शुरुआत और भविष्य के कदम: कहा जाता है कि एंटी-बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास डीआरडीओ की ओर से 2000 के दशक के आसपास पाकिस्तान और चीन की ओर से बैलिस्टिक मिसाइल के विकास को देखते हुए शुरू किया गया था। इसके कार्यक्रम की शुरुआत में सबसे पहले आकाश मिसाइल को विकसित किया गया था जो 27 से 30 किलोमीटर तक जमीन से हवा में मार करने वाली छोटी दूरी की क्विक रिएक्शन मिसाइल है।संबंधित खबरें
एडी-1 मिसाइल टेस्ट के बाद AD-2 का विकास भी डीआरडीओ की ओर से किया जा रहा है, जो और भी अधिक दूरी की मिसाइलों को बेअसर करने में सक्षम होगी।संबंधित खबरें
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प्रभाष रावत author
रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक विषयों में विशेष रुचि रखने वाले प्रभाष रावत कुछ-ना-कुछ नया सीखते रह...और देखें
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