तलाक मामले में उमर की दलील, '15 साल से मृत प्राय हो चुकी है मेरी शादी', SC ने पायल अब्दुल्ला को जारी किया नोटिस
Omar Abdullah Divorce Case: उमर अब्दुल्ला और पायल की शादी 1994 में हुई और 2009 से दोनों अलग-अलग रहते हैं। इनसे दो बच्चे भी हैं। उमर ने अपनी पत्नी पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए तलाक की अर्जी दायर की है। हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद उमर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
1994 में उमर और पायल की शादी हुई।
मुख्य बातें
- साल 1994 में एनसी नेता उमर अब्दुल्ला और पायल की शादी हुई
- यह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चल पाया, 2009 में दोनों अलग हुए
- उमर के दो बच्चे भी हैं, पत्नी और बच्चों को वह गुजारा भत्ता देते हैं
Omar Abdullah: तलाक मामले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी पत्नी पायल अब्दुल्ला को नोटिस जारी किया है। तलाक मामले में उमर ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दरअसल, क्रूरता के आधार पर अलग रह रहीं पत्नी पायल अब्दुल्ला से तलाक मांगने वाली उमर की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट के 2016 के निर्णय को उमर ने चुनौती दी थी। पारिवारिक अदालत ने तलाक से जुड़ी उनकी याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उसे पारिवारिक अदालत के आदेश में कोई खामी नहीं मिली। साथ ही पारिवारिक अदालत के निर्णय से भी सहमति जताई।
1994 में हुई थी उमर और पायल की शादी
पारिवारिक अदालत ने पाया था कि अब्दुल्ला द्वारा पायल अब्दुल्ला के खिलाफ क्रूरता के आरोप अस्पष्ट थे। पीठ ने कहा कि पायल अब्दुल्ला द्वारा शारीरिक व मानसिक क्रूरता के किसी भी कृत्य को साबित करने में उमर अब्दुल्ला विफल रहे। उमर अब्दुल्ला और पायल अब्दुल्ला की एक सितंबर 1994 को शादी हुई थी और आपसी विवाद के कारण वे वर्ष 2009 से अलग रह रहे हैं। उनके दो बेटे हैं।
बीते 15 साल से मृत प्राय हो चुकी है यह शादी-सिब्बल
रिपोर्टों के मुताबिक उमर ने अपनी अर्जी में पायल से तलाक की मांग की है। उमर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि 'बीते 15 सालों से यह शादी मृत प्राय हो चुकी है।' सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस सुधांशु धुलिया एवं जस्टिस अशानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पायल को नोटिस जारी किया। इससे पहले उमर की तलाक के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा एवं जस्टिस विकास महाजन की पीठ ने कहा कि पायल के खिलाफ उमर ने जो क्रूरता के आरोप लगाए हैं, वे अस्पष्ट और स्वीकार करने योग्य नहीं हैं।
हाई कोर्ट ने गुजारा भत्ता बढ़ा दिया
अब्दुल्ला ने पत्नी से अलग होने के लिए 30 अगस्त 2016 को पारिवारिक अदालत में अर्जी लगाई थी। अदालत ने साक्ष्यों का अभाव बताते हुए इस अर्जी को खारिज कर दिया। पारिवारिक अदालत में अर्जी खारिज होने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अपने एक अन्य आदेश में पायल को मिलने वाला मासिक गुजारा भत्ता बढ़ा दिया। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने पायल को 1.5 लाख रुपए महीने और उनके दोनों बच्चों को 60-60 हजार रुपए का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
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गौरव श्रीवास्तव author
टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पे...और देखें
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