Ujjain : उज्जैन की लोकेशन है बेहद खास, पृथ्वी का नाभि स्थल माना जाता है यह प्राचीन नगर

Ujjain : उज्जैन का महाकाल मंदिर दुनिया भर में अपनी खासियत को लेकर जाना जाता है। इसकी विशेषताओं की फेहरिस्त काफी लंबी है । आइए एक बार उनमें से कुछ बिंदुओं पर नजर डालते हैं।

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देश का प्रचीन शहर है उज्जैन।

Ujjain : पृथ्वी के बारे में हम लोग पढ़ते आए हैं कि वह गोल है लेकिन इसका केंद्र बिंदु कहां पर स्थित है, इस बारे में अगर कोई सवाल करे तो आप सोच में पड़ जाएंगे। खगोल शास्त्रियों की मानें तो प्राचीन नगरी उज्जैन ही पृ्थ्वी का केंद्र विंदु यानी नाभि स्थल है। खगोल शास्त्रियों का मानना है कि मध्य प्रदेश का यह प्राचीन नगर पृथ्वी और आकाश के मध्य में स्थित है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर ज्योतिषाचार्य यहीं से भारत की काल गणना करते आए हैं। काल की गणना की वजह से ही यहां के आराध्य शिव को महाकाल कहा जाता है।
11 अक्टूबर को कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में बने कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे। इस कॉरिडोर में उज्जैन एवं महाकालेश्वर मंदिर की भव्यता, दिव्यता, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं धार्मिक पहचान को दोबारा स्थापित किया गया है। कॉरिडोर के दर्शन से भक्त इस प्राचीन नगरी की विशिष्टता एवं महत्ता से परिचित होंगे। यह कॉरिडोर उज्जैन एवं महाकालेश्वर मंदिर को एक नई भव्यता देने जा रहा है।
उज्जैन से की जाती रही है काल-गणना
उज्जैन नगरी हमेशा से काल-गणना के लिए उपयोगी एवं महत्वपूर्ण रही है। यह नगर देश के मानचित्र में 23.9 डिग्री उत्तर अक्षाश एवं 74.75 अंश पूर्व रेखांश पर स्थित है। यही नहीं, ऋषि-मुनियों ने उज्जैन को शून्य रेखांश पर स्थित माना है। कर्क रेखा नगर के ऊपर से गुजरती है। यही नहीं कर्क रेखा एवं भूमध्य रेखा एक-दूसरे को उज्जैन में काटती हैं। उज्जैन की इस विशेषताओं को देखते हुए काल-गणना, पंचांग निर्माण और साधना के लिए इस नगर को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ऋषि-मुनियों एवं साधकों के लिए यह सबसे पसंदीदा धार्मिक, आध्यात्मिक स्थल रहा है। शास्त्रों में भी उज्जैन को देश के नाभि स्थल के रूप में बताया गया है। वराह पुराण में उज्जैन को शरीर का नाभि देश और महाकालेश्वर को इसका देवता कहा गया है।
दक्षिणमुखी है महाकाल ज्योतिर्लिंग
महाकाल ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। तंत्र साधना के लिहाज से इसे दक्षिणमुखी होना महत्वपूर्ण है। महाकालेश्वर मंदिर के शिव लिंग के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव यहां पर स्वयं प्रकट हुए हैं। पुराणों के अनुसार इस नगर की स्थापना स्वयं ब्रह्माजी ने की थी। कहा जाता है कि महाकाल के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है उज्जैन
क्षिप्रा नदी जिसे शिप्रा के नाम से भी जाना जाता है, उज्जैन नगर इस नदी के किनारे बसा है। भारत के अत्यन्त प्राचीन शहरों में शामिल उज्जैन नगरी सम्राट विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी रही। इसे संस्कृत के महान कवि कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल मंदिर यहीं स्थित है। उज्जैन के प्राचीन नाम अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा हैं। मध्य प्रदेश के पांचवें सबसे बड़े शहर उज्जैन में मंदिरों की भरमार है। यहां का काल भैरव मंदिर तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। देश भर के तांत्रिक यहां साधना के लिए आते हैं।
7 पवित्र पुरियों में से एक
उज्जैन नगर हिंदू धर्म की 7 पवित्र पुरियों में से एक मानी जाती है। यह प्राचीन सांस्कृतिक नगर देश के 51 शक्तिपीठों और चार कुंभ क्षेत्रों में से एक है। यहां हर 12 साल में पूर्ण कुंभ मेला तथा हर 6 साल में अर्द्धकुंभ मेला लगता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग के अलावा इस नगर में गणेश मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, गोपाल मंदिर, मंगलनाथ मंदिर प्रमुख हैं। यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु एवं पर्यटक भर्तृहरि गुफा देखने के लिए आते हैं।
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लेटेस्ट न्यूज

संजीव कुमार दुबे author

फिलहाल मैं www.timesnowhindi.com में बतौर एडिटर कार्यरत हूं। पत्रकारिता में मेरे सफर की शुरुआत 22 साल पहले हुई। 2002 अक्टूबर में टीवी की रुपहले दुनिया...और देखें

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