जानें 15 अगस्त की बजाय कब और क्यों 16 साल तक किसी और दिन मनाया जाता रहा भारत का स्वतंत्रता दिवस?
Independence Day: भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था और तब से इसी दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 16 साल तक देश का स्वतंत्रता दिवस किसी और ही दिन मनाया जाता रहा। जानिए ऐसा कब हुआ और क्यों हुआ। फिर यह परंपरा क्यों बदली गई।
स्वतंत्रता दिवस
भारत का कब आजाद हुआ? यह प्रश्न बच्चों का प्रश्न लगता है ना! इसका जवाब तो सभी जानते हैं कि भारत 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी। यही कारण तो है कि हर साल 15 अगस्त को देश स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) मनाता है। इस दिन प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर पर ध्वज फहराकर देश को संबोधित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे ही देश में 16 साल तक किसी और दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। जी हां, ये बात बिल्कुल सच है। तो चलिए जानते हैं, क्या है पहेली? क्यों 15 अगस्त की बजाय किसी और दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था? उस दिन का महत्व क्या था? और फिर क्यों 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा?
पहला स्वतंत्रता दिवसभारत भले ही 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ हो, लेकिन देश को आजादी दिलाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे थे। इसी प्रयास के तहत 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन (Lahore session) में पूर्ण स्वराज्य की घोषणा की। इसके बाद 26 जनवरी 1930 को गैरआधिकारिक (Unofficial) तौर पर भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इसके बाद साल 1946 तक हर साल 26 जनवरी को ही भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता रहा।
26 जनवरी 1930 से 26 जनवरी 1946 तक यानी 16 साल तक हर साल इसी दिन देशभर में भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता रहा। कांग्रेस कार्यकर्ता, देशभक्त और आम जनता भी देशभर में भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराते थे।
पूर्ण स्वराज्य की मांगदेश को इंकलाब जिंदाबाद जैसा नारा देने वाले ऊर्दू शायर हसरत मोहानी ही वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पूर्ण स्वराज्य (Azadi-e-Kaamil) की बात कही थी। उन्होंने 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की मांग रखी थी। उनकी इसी मांग को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाने के फैसला किया। कांग्रेस ने लोगों से सविनय अवज्ञा का अनुरोध किया और पूर्ण स्वराज्य के लिए समय-समय पर कांग्रेस के निर्देशों का पालन करने को कहा।
आजादी मिलने से पहले आजादी का जश्न?आजादी मिलने से पहले आजादी का जश्न मनाने का औचित्य शायद आज की तारीख में समझ न आए। लेकिन उस समय इसका बड़ा महत्व था। इसे लोगों को राष्ट्र के लिए समर्पित होने और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खड़ा करने में बड़ी मदद मिलती थी। इस दौरान कांग्रेस लगातार अंग्रेजों पर दबाव बढ़ाते चली गई, जिससे अंग्रेजों को भारत को आजादी देने पर विवश होना पड़ा।
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असली आजादीलगातार बढ़ते दबाव के बीच आखिरकार अंग्रेजों ने भारत को आजादी देने की घोषणा कर दी। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया। इस तरह से अब 15 अगस्त को देश का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा और 16 साल 26 जनवरी को मनाया जाने वाला स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम बंद हो गया। इसके बाद भारत का संविधान लिखा गया और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू कर दिया गया। इस तरह से 1950 से 26 जनवरी को देश का गणतंत्र दिवस मनाया जाने लगा।
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