चीन-पाक की जरा सी हरकत तो नेस्तनाबूद होगा लाहौर और बीजिंग, भारतीय सेना ने एक्टिव की S-400, इसकी ताकत से कांपते हैं दुश्मन

S-400 Missile System: भारत ने 2018-19 में रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली के पांच स्क्वाड्रन खरीदने का करार किया था। इसकी लागत करीब 35 हजार करोड़ रुपये थी। पांच में से तीन स्क्वाड्रन की डिलीवरी भारत को पहले ही मिल चुकी है, लेकिन उसे दो स्क्वाड्रन का इंतजार है। भारत जल्द ही रूसी अधिकारियों के साथ इनकी डिलीवरी के लिए बैठक कर सकता है।

S-400 missile system

एस-400 मिसाइल प्रणाली

S-400 Missile System: S-400 वो मिसाइल है, जिसकी तैनाती भर से दुश्मन यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि हमला करें या न करें। भारत ने इस मिसाइल प्रणाली को चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर सक्रिय कर दिया है। सैन्य सूत्रों की मानें तो सीमा से जुड़े अलग-अलग सेक्टरों में ये मिसाइल प्रणालियां पहले से ही सक्रिय हैं। इसमें एक यूनिट चीन और पाकिस्तान सीमा पर एक्टिव की गई है। जबकि एक-एक मिसाइल चीन और पाकिस्तान सीमा पर अलग से तैनात की गई है।

रूस निर्मित इस मिसाइल की अधिकतम रेंज करीब 400 किलोमीटर या इससे ज्यादा है। खास बात यह है कि यह मिसाइल प्रणाली अपनी ओर आते दुश्मन को पलभर में राख में तब्दील कर देती है। इसे दुनिया की सबसे सटीक एयर डिफेंस मिसाइल प्रणाली भी माना जाता है और कहा जाता है कि यूक्रेन में रूस ने इन्हीं मिसाइलों से तबाही मचा दी थी।

रूस से एस-400 के पांच स्क्वाड्रन खरीदने का हुआ था करार

बता दें, भारत ने 2018-19 में रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली के पांच स्क्वाड्रन खरीदने का करार किया था। इसकी लागत करीब 35 हजार करोड़ रुपये थी। पांच में से तीन स्क्वाड्रन की डिलीवरी भारत को पहले ही मिल चुकी है, लेकिन उसे दो स्क्वाड्रन का इंतजार है। कहा जाता है कि भारतीय वायु सेना के लिए बनाए गए दो एस-400 स्क्वाड्रन का इस्तेमला रूस ने यूक्रेन पर किया था, जिसकी वजह से भारत को डिलीवरी मिलने में देरी हो रही है। अब खबर है कि भारत जल्द ही रूसी अधिकारियों के साथ इनकी डिलीवरी के लिए बैठक कर सकता है।

ताकत में है बेमिसाल

रूस से भारत को एस-400 के तीन स्क्वाड्रन मिल चुके हैं। इसका मतलब है कि एक स्क्वाड्रन में आठ लॉन्चर होती है। प्रत्येक लॉन्चर चार मिसाइलें दाग सकता है। यानी एक स्क्वाड्रन में 32 मिसाइलें होती हैं। इस मिसाइल प्रणाली की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह न्यूक्लियर मिसाइलों, फाइटर प्लेनों को हवा में ही ध्वस्त करने की क्षमता रखती है। यह प्रणाली माइनस 50 से लेकर माइनस 70 डिग्री में भी काम करने में सक्षम है, साथ ही इसे आसानी से डिटेक्ट भी नहीं किया जा सकता है।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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