राहुल ही नहीं नीतीश के सियासी सपने को भी ममता ने किया चकनाचूर! यह है वजह, ले सकते हैं बड़ा फैसला
India Bloc Meeting Highlights: विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की चौथी बैठक 19 दिसंबर, 2023 को दिल्ली में हुई। मीटिंग में फैसला हुआ कि प्रधानमंत्री पद के चेहरे के बारे में फैसला चुनाव में जीत के बाद होगा, जबकि जनवरी, 2024 के दूसरे सप्ताह तक सीट बंटवारे को अंतिम रूप देना है।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
India Bloc Meeting Highlights: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) चीफ ममता बनर्जी ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं। उन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ही नहीं बल्कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार के सियासी सपने को चकनाचूर करने का प्रयास किया है। मंगलवार (19 दिसंबर, 2023) को विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की चौथी अहम मीटिंग में बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में दलित चेहरे के तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव दिया।
एमडीएमके नेता वायको ने इस बात की पुष्टि मीटिंग के बाद समाचार एजेंसी पीटीआई से की। उन्होंने बताया कि बैठक में ममता और केजरीवाल ने पीएम चेहरे के लिए खड़गे का नाम सुझाया है। हालांकि, बैठक के बाद कांग्रेस चीफ ने इस बाबत मीडिया को बताया, ‘‘हम पहले जीतने की कोशिश करेंगे, उसके बाद सांसद लोकतांत्रिक ढंग से फैसला (पीएम कैंडिडेट पर) करेंगे।’’
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वैसे, भले ही राहुल गांधी और नीतीश कुमार बार-बार यह बात दोहरा चुके हैं कि उन्हें पीएम पद में कोई दिलचस्पी नहीं है। हालांकि, सियासत को गहराई से समझने वाले और चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि दोनों की इस पद को पाने की लंबे समय से महात्वाकांक्षा रही है। फ्रंटफुट पर वे आकर इसे स्वीकारते नहीं हैं, यह अलग बात है। ऐसे में ममता और केजरवाल ने जो किया है वह राहुल और नीतीश की मुराद पर पानी फेरने से कम नहीं माना जा रहा।
दरअसल, इन दोनों ही नेताओं का पीएम फेस के लिए नाम न देने के पीछे बड़ी और महीन वजह है। राहुल को बीजेपी और नरेंद्र मोदी की "टीआरपी" माना जाता है। ऊपर से उनका और उनकी पार्टी का कमजोर नेतृत्व (कांग्रेस के विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी) भी इसके पीछे बड़ी वजह है, जिसके चलते विपक्षी गठजोड़ के घटक दल के नेता राहुल पर दांव लगाने से बचते नजर आए।
वहीं, नीतीश की छवि पलटूराम की रही है। उन पर भी दलों को यकीन नहीं है। अंदर ही अंदर वे मानकर चलते हैं कि सुशासन कुमार कभी भी अपना पाला और इरादा बदल सकते हैं। इतिहास भी उठाकर देखें तो नीतीश का रिकॉर्ड कुछ ऐसा ही मिलता है। यही वजह है कि उन्हें बड़ा पद देने से दल के नेता कतरा रहे हैं। वैसे, खबर है कि 29 दिसंबर, 2023 को जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है, जिसमें बड़ा फैसला हो सकता है। सूत्रों की ओर से बताया गया कि कुमार इस बाबत बड़ा निर्णय ले सकते हैं।
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