तवांग में भारत और चीन के जवानों के बीच हुई झड़प के बाद वहां के स्थानीयों को अपनी सेना और सरकार पर पूरा भरोसा है।
तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में नौ दिसंबर, 2022 को भारत और चीन के फौजियों के बीच हुई झड़प के बाद वहां के गांव वालों का जोश हाई है। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर मांग उठा दी है कि भारतीय सेना की ओर से उन्हें भी ट्रेन किया जाए और ट्रेनिंग के बाद वे भी सुरक्षा-बलों के साथ डटकर चीन की पीएलए (पीपल्स लिब्रेशन आर्मी) का डटकर मुकाबला करेंगे।
यांग्से में जिस जगह एलएसी के पास गुत्थम-गुत्थी हुई थी, वहां पर कुछ स्थानीयों से समाचार एजेंसी एएनआई ने बातचीत की है। गांव में रहने वाले एक युवक ने बताया- जामिथांग से अंतर्राष्ट्रीय सीमा 12 किमी दूर है। हाल में जो घटना हुई, वह देखकर हमें तो बड़ा मजा आया। इस बीच, एक वीडियो भी वायरल हुआ था...उसमें हमारे जवानों ने जो साहस दिखाया था, वह हमें काफी अच्छा लगा। हम अपने जवानों से वही उम्मीद करते हैं। हमारे स्थानीय और जवानों को जोश मिला होगा। हमको यहीं रहना है और आर्मी के साथ डटकर लड़ना है।
उन्होंने आगे बताया कि यहां से कोई नहीं (हैरान-परेशान होकर) गया। ये जो छोटी-मोटी घटनाएं होती हैं, उसे लेकर स्थानीय लोगों में बिल्कुल भी हैरानी नहीं है। सब बिंदास हैं और बढ़िया हैं। हमें अपनी सरकार पर भरोसा है। हमारा सेना और पैरामिलिट्री के साथ अच्छा संबंध है। कभी-कभी हम उन लोगों से कहते हैं कि चलिए हमको भी ट्रेनिंग कराइए।
गांव के एक अन्य निवासी ने बताया- यहां के लोग सुरक्षित महसूस करते हैं, क्योंकि भारतीय सेना हमारे साथ हमेशा है। इस वजह से हम बहुत सुरक्षित महसूस करते हैं। हमें अपनी सेना पर बहुत गर्व महसूस होता है। मैं सबसे यही कहना चाहता हूं कि हमारी ओर से उन्हें धन्यवाद...। वे ऐसे ही हमारी सुरक्षा करते रहें और हम भी उनका आगे साथ देंगे।
दरअसल, तवांग सेक्टर में एलएसी पर भारत-चीन के सैनिकों में झड़प हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए थे। पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध के बीच पिछले शुक्रवार को संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी पर यांग्त्से के पास झड़प हुई। भारतीय थलसेना की ओर से बताया गया था, ‘‘दोनों पक्ष तत्काल क्षेत्र से पीछे हट गए थे। इसके बाद हमारे कमांडर ने स्थापित तंत्रों के अनुरूप शांति बहाल करने के लिए चीनी समकक्ष के साथ ‘फ्लैग बैठक’ की।’’
हालांकि, सेना के बयान और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से संसद में झड़प में शामिल सैनिकों और घटना में घायल हुए सैनिकों की संख्या का उल्लेख नहीं किया गया था। सिंह ने संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में बताया था कि चीन ने नौ दिसंबर को वहां पर यथास्थिति बदलने का प्रयास किया था, जबकि भारतीय सेना के जवानों ने उनका दृढ़ता के साथ सामना किया और उन्हें लौटने पर मजबूर कर दिया। इस गुत्थम-गुत्थी में भारत की ओर से न तो कोई जवान शहीद हुआ और न ही गंभीर रूप से जख्मी हुआ था।