'आत्मनिर्भर भारत' की बड़ी छलांग, नौ साल में 23 गुना बढ़ गया रक्षा निर्यात
India Defence Export: केंद्र की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि रक्षा निर्यात अब तक के अपने सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया है। वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान यह 686 करोड़ रुपए का था जो कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर करीब 16,000 करोड़ रुपए तक जा पहुंचा है। बीते नौ साल में रक्षा निर्यात में 23 गुना वृद्धि वैश्विक रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भारत के बढ़ते दबदबे एवं क्षमता को बताती है।

भारत का रक्षा उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
India Defence Export: 'मेक इन इंडिया' का मिशन का असर हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। खासतौर से रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने में बड़ा योगदान दिया है। इसका असर यह हुआ है कि बीते नौ वर्षों रक्षा उत्पादन में भारी इजाफा हुआ है और रक्षा आयात में कमी आई है। सरकार ने बताया है कि 2013 और 2022-23 के बीच रक्षा निर्यात 23 गुना बढ़ गया है। खास बात यह है कि यह रक्षा निर्यात अब तक के सर्वाधिक स्तर करीब 16,000 करोड़ रुपए पर जा पहुंचा है।
घटा रक्षा उपकरणों का आयात
जाहिर है कि ये आंकड़े रक्षा उत्पादन में भारत की बढ़ती क्षमता एवं योग्यता को दर्शाते हैं। रक्षा उत्पादन में वृद्धि 'आत्मनिर्भर भारत' की स्पष्ट मिसाल है। यही नहीं यह 'मेक इन इंडिया' का ही असर है कि विदेश से मंगाए जाने वाले रक्षा उपकरणों में कमी आने लगी है। 2018-19 रक्षा उपकरणों का आयात 46 प्रतिशत था जो कि दिसंबर 2022 में घटकर 36.7 प्रतिशत हो गया। खास बात यह है कि रक्षा क्षेत्र का यह रिपोर्ट कार्ड ऐसे समय सामने आया है जब मोदी सरकार केंद्र की सत्ता में नौ वर्ष पूरे होने पर अपनी उपलब्धियां गिना रही है।
अब तक के अपने सर्वाधिक स्तर पर पहुंचा रक्षा निर्यात
केंद्र की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि रक्षा निर्यात अब तक के अपने सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया है। वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान यह 686 करोड़ रुपए का था जो कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर करीब 16,000 करोड़ रुपए तक जा पहुंचा है। बीते नौ साल में रक्षा निर्यात में 23 गुना वृद्धि वैश्विक रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भारत के बढ़ते दबदबे एवं क्षमता को बताती है।
रक्षा उत्पादन का मूल्य 1 लाख करोड़ के पार
गत 19 मई को भारत सरकार ने बताया कि सुधारों को लागू करने के बाद देश में रक्षा उत्पादन का मूल्य पहली बार एक लाख करोड़ रुपए को पार कर गया है। सरकार ने बताया कि 2021-22 में रक्षा उत्पादन का मूल्य 95,000 करोड़ रुपए था जो कि 2022-23 में बढ़कर 1,06,800 करोड़ रुपए हो गया। पांच साल पहले देश का रक्षा उत्पादन मूल्य 54,971 करोड़ रुपए था।
रक्षा क्षेत्र में सुधारों का दिखा असर
भारत इन दिनों लड़ाकू विमानों, हल्के हेलिकॉप्टरों, युद्धपोतों, टैंक्स, रॉकेट एवं अन्य रक्षा उपकरणों का उत्पादन कर रहा है। वैश्विक स्थितियों को देखते हुए एवं रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत लगातार रक्षा सुधार की दिशा में आगे बढ़ रहा है। रक्षा उपकरणों एवं हथियारों के निर्माण में उसने निजी क्षेत्रों को शामिल किया है। सेना विदेश की जगह देश में बने रक्षा उपकरणों, हथियारों एवं कल-पुर्जों की खरीदारी कर रही है। रक्षा उत्पादन में प्रत्यक्ष विदेश निवेश 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 फीसदी किया गया है।
भारतीय हथियार खरीदने में देशों की दिलचस्पी
सरकार का लक्ष्य 2024-25 में रक्षा उत्पादन का मूल्य बढ़ाकर 1,75,000 करोड़ रुपए करने की है। विगत दशकों तक भारत की पहचान एक बड़े हथियार आयातक देश के रूप में रही है लेकिन अब वह दुनिया के शीर्ष 25 हथियार निर्यातक देशों में शामिल हो गया है। भारतीय हथियारों एवं मिसाइलों को खरीदारी के लिए कई देश सामने आए हैं। फिलिपींस ने भारत की ब्रह्मोस मिसाइल खरीदी है। इसके अलावा कई अन्य देश भी यह मिसाइल खरीदना चाहते हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉक्स लिमिटेड का कहना है कि अर्जेंटीना भारत से 15 और मिस्र 20 तेजस विमान खरीदना चाहता है।
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