IEC 2023: आज भारत बोलता है, तो दुनिया कान खोलकर सुनती है, India Economic Conclave में बोले राजनाथ

टाइम्स नेटवर्क के IEC 2023 में रक्षा मंत्री ने कहा, हम कोई मंजिल तय करते हैं, तो कई चुनौतियां सामने आती हैं। लेकिन इनमें भी सबसे बड़ी चुनौती आती है कि हो सकता है कि हम लक्ष्य को समयसीमा में हासिल नहीं कर पाएं।

Rajnath Singh at IEC 2023

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

India Economic Conclave: टाइम्स नेटवर्क की ओर से आयोजित इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव (IEC 2023) में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की बढ़ती ताकत और आने वाली चुनौतियों पर अपनी बात रखी। साथ ही उन्होंने बताया कि वह साल 2047 में किस तरह का भारत देखना चाहते हैं। उन्होंने आधुनिक भारत में महिलाओं की भागीदारी पर भी जोर दिया।

पूरा विश्व आज भारत को सुनता हैराजनाथ ने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की बात ध्यान से सुनता है। एक वक्त था जब विश्व मंच पर हमारी बात को गंभीरता से नहीं लिया जाता था। उन्होंने कहा कि आज भारत का कद इतना ऊंचा हो गया है कि आज भारत जब बोलता है तो लोग कान लगाकर सुनते हैं कि भारत बोल क्या रहा है। आज भारत की ऐसी हैसियत हो गई है।

ऐसा लक्ष्य तय करें जिससे संतुष्टि मिले

IEC-2023 में रक्षा मंत्री ने कहा, हम कोई मंजिल तय करते हैं, तो कई चुनौतियां सामने आती हैं। लेकिन इनमें भी सबसे बड़ी चुनौती आती है कि हो सकता है कि हम लक्ष्य को समयसीमा में हासिल नहीं कर पाएं। लेकिन उससे भी बड़ी चुनौती तब आती है कि जब हम उस लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं, तो हमें वह उतना प्रासंगिक नहीं लगता है। हम सोचने लगते हैं कि क्या इसी लक्ष्य के लिए इतनी मेहनत की थी। इसलिए जरूरी है कि ऐसा ही उद्देश्य तय करें, जिसे प्राप्त करके हमें संतुष्टि मिले।
रक्षा मंत्री ने IEC-2023 में आगे कहा कि हमें तय करने की जरूरत है कि हमें किस तरह के भारत का सपना देखना है। मैं इसी बारे में बताना चाहता हूं जिसे आप मैनिफेस्टो फॉर 2047 कह सकते हैं। मैं ऐसे समाज की कल्पना करता हूं जहां किसी तरह का सामाजिक भेदभाव न हो। हमारा विकसित भारत जाति, धर्म, रंग से परे होना चाहिए, यह मेरी कल्पना है। यहां किसी के साथ जातिगत भेदभाव न हो। सभी को बराबरी का मौका मिलना चाहिए।

कई घटनाओं से मन द्रवित हो जाता है

राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे सामने कई बार ऐसी खबरें आती है जिसे पढ़ या सुनकर हम सभी का मन द्रवित हो जाता है। कुछ दिन पहले ही मैंने टीवी पर देखा था कि एक व्यक्ति अपने बच्चे के निधन पर उसका शव साइकिल पर ले जा रहा है। कई बार देखा है कि साइकिल भी नसीब नहीं होती है। अपने परिजन के शव को कंधे पर लादकर ले जाते भी देख चुका हूं। ऐसी ह्रदयविदारक घटना होती है और हमारे समाज की ये सच्चाई है जिसे हमें स्वीकार करना होगा। स्वीकरण ही निजात के रास्ते खोलेगा।

2047 के भारत में कोई इतना अक्षम न हो...

मैं 2047 की कल्पना करता हूं तो तीन स्वरूप देखता हूं, पहला- मेरे भारत में कोई इतना अक्षम न हो कि उसे अपने परिजन का शव साइकिल या कंधे पर ढोकर ले जाना पड़े। दूसरा ये कि दुर्भाग्य से कोई व्यक्ति इतना सक्षम न हो और सरकारी व्यवस्था इतनी मजबूत हो कि उस व्यक्ति के स्थान पर व्यवस्था ही काम करे। तीसरा ये कि जिन क्षेत्रों में विकास नहीं पहुंच पाता वहां समाज में इतना भाईचारा हो कि किसी व्यक्ति पर ऐसी आपदा आ जाए तो समाज का जो भी पहला व्यक्ति उसे देखे, वह अपना बाकी काम छोड़कर उस व्यक्ति की मदद करे। मैं ऐसा ही संवेदनशील समाज भारत में देखना चाहता हूं।

महिलाओं की बराबर की भागीदारी हो

IEC 2023 में रक्षा मंत्री ने कहा कि इसके अलावा मैं एक और चीज देखना चाहता हूं, वह है महिलाओं की बराबर की भागीदारी। कोई राष्ट्र अपनी आधी आबादी को साथ लिए बिना तरक्की नहीं कर सकता। हमें नारी शक्ति को अधिकार देने होंगे जिससे उन्हें लंबे समय तक वंचित रखा गया है। अभी आपने देखा होगा कि सिविल सर्विस परीक्षा में किस तरह महिलाओं ने बाजी मारी है। ये देश के सुनहरे भविष्य के लिए सुनहरा संकेत है।
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