Video : चीन की मजबूरी समझिए-आतंकवादियों को बचाए या अपनी अर्थव्यवस्था
यूएन की 1267 Sanctions Committee की लिस्ट में आने से आतंकवादी की संपत्ति फ्रीज होती है, उस पर ट्रैवल बैन लगता है, उसे कोई हथियार मुहैया कराने पर रोक लगती है। लेकिन मक्की के खिलाफ भारत के प्रस्ताव पर सिक्योरिटी काउंसिल में चीन ने जून से टेक्निकल रोक लगा रखी थी, जिसे इस बार चीन को हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भारत की ग्लोबल ताकत देखिए कि चीन अब भारत को रोक नहीं पा रहा है। भारत ने आतंकवादी हाफिज सईद के रिश्तेदार अब्दुल रहमान मक्की को यूएन ग्लोबल आतंकवादी घोषित करवा दिया। पाकिस्तान के आतंकवादी मक्की को यूएन में सात महीने से चीन ने बचा रखा था और उसे ग्लोबल आतंकवादी घोषित नहीं करने दे रहा थायूएन सिक्योरिटी काउंसिल में मक्की को ग्लोबल आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव के पक्ष में 15 में से 14 देश थे, सिर्फ चीन इसके विरोध में था। यूएन से किसी आतंकवादी को ग्लोबल आतंकवादी घोषित के लिए यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की 1267 Sanctions Committee में प्रस्ताव जाता है।
आतंकवादी की संपत्ति फ्रीज होती है
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यूएन की 1267 Sanctions Committee की लिस्ट में आने से आतंकवादी की संपत्ति फ्रीज होती है, उस पर ट्रैवल बैन लगता है, उसे कोई हथियार मुहैया कराने पर रोक लगती है। लेकिन मक्की के खिलाफ भारत के प्रस्ताव पर सिक्योरिटी काउंसिल में चीन ने जून से टेक्निकल रोक लगा रखी थी, जिसे इस बार चीन को हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। अभी पाकिस्तान के उन आतंकवादियों की लंबी लिस्ट है, जिन्हें यूएन में चीन ने अपनी वीटो पावर के दम पर बचा रखा है। इन सभी का नंबर भी जल्द आने वाला है। क्योंकि चीन अब इन्हें ज्यादा दिन नहीं बचा नहीं पाएगा।
जीडीपी ग्रोथ 2022 में सिर्फ 3% पर सिमट गईचीन के सामने भी मजबूरी है कि वो पाकिस्तान के आतंकवादियों को बचाए या फिर अपनी बर्बाद होती अर्थव्यवस्था को बचाए। क्योंकि चीन की अर्थव्यवस्था का हाल ये है कि चीन के National Bureau of Statistics ने आज जब जीडीपी के आंकड़े जारी किए तो पता चला कि चीन की जीडीपी ग्रोथ 2022 में सिर्फ 3% पर सिमट गई। जबकि चीन ने 5.5% जीडीपी ग्रोथ का टारगेट रखा था। इससे कम जीडीपी ग्रोथ चीन में पिछले 48 साल में नहीं रही। इससे पहले 1974 में चीन की जीडीपी ग्रोथ 2.3% थी।
चीन की आबादी बढ़ नहीं रही, बल्कि घट रही हैचीन अर्थव्यवस्था के मामले में 50 साल पीछे और आबादी बढ़ने के मामले में 60 साल पीछे पहुंच चुका है। चीन की एक बड़ी परेशानी ये भी है कि वहां आबादी बढ़ नहीं रही, बल्कि घट रही है। 60 साल में पहली बार ऐसा हुआ कि चीन की आबादी घट गई। वहां के National Bureau of Statistics के मुताबिक 2022 में चीन की आबादी 141 करोड़ 17 लाख है। जो 2021 के मुकाबले करीब साढ़े 8 लाख कम है। आखिरी बार चीन की आबादी 1960 में कम हुई थी, जब माओ का राज था और Great Leap Forward के नाम वाली उसकी विनाशकारी कृषि नीति से चीन में भुखमरी और अकाल पड़ गया था और लाखों लोगों की मौत हुई थी।
चीन ने सख्त तरीके से One Child Policy लागू की थी
चीन चाहता है कि उसकी आबादी घटे ना बल्कि बढ़े। क्योंकि उसने पहले जो फैसले लिए, उसके भयंकर नतीजे दिख रहे हैं। आबादी बहुत ज्यादा बढ़ने के डर से 1980 के दशक में चीन ने सख्त तरीके से One Child Policy लागू की थी। इसमें एक से ज्यादा बच्चे पैदा करने में जुर्माना लगाया जाता था। जुर्माना ना देने पर संपत्ति जब्त कर ली जाती थी। कई बार नौकरी और दूसरी सरकारी सुविधाएं छीन ली जाती थी। एक से ज्यादा बच्चे होने पर सामाजिक बहिष्कार भी किया जाता था। लेकिन 40 साल बाद इस नीति के भयंकर नतीजे दिखने लगे। जब एक पीढ़ी बड़ी हुई और युवा के ऊपर माता-पिता के साथ साथ दादा-दादी, नाना-नानी की भी जिम्मेदारी आ गई। आज चीन की स्थिति ये है कि वहां 26 करोड़ से ज्यादा लोग 60 साल से ऊपर के हैं। चीन में काम करने वाली आबादी कम होती जा रही है।
Two Child Policy लागू कर दिया
इसलिए चीन ने 2016 में 40 साल पुरानी One Child Policy को खत्म कर दिया और Two Child Policy लागू कर दिया। 2021 में चीन ने तीन बच्चे तक पैदा करने की अनुमति दे दी। लेकिन अब चीन की मुश्किल ये है कि महंगी शिक्षा, ज्यादा कॉस्ट ऑफ लिविंग की वजह से लोग एक से ज्यादा बच्चा नहीं चाहते। इसलिए चीन में ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए पैसों का ऑफर दिया जा रहा है। जैसे चीन के Shenzhen में पहला बच्चा पैदा होने पर 36,000 रुपये मिलते हैं। तीसरा बच्चा पैदा होने पर 1 लाख 20 हजार रुपये मिलते हैं। Jinan शहर में दूसरा बच्चा पैदा होने पर 7 हजार रुपये महीने मिलते हैं। कई जगहों पर तीसरा बच्चा पैदा करने से लेकर बच्चे के तीन साल पूरे होने तक हर साल 72 हजार रुपये देने का ऑफर है।
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