ब्रह्मोस मिसाइल के जरिए भारत की साउथ ईस्ट और मिडिल ईस्ट पर नजर, जानें- क्यों है खास
Brahmos Missile: भारत अब तक हथियारों की खरीद करता रहा है। लेकिन अब निर्यातक भी बन चुका है। फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की सफल डील के बाद अब नजर साउथ ईस्ट और मिडिल ईस्ट के देशों पर है। बता दें कि इस मिसाइल का उत्पादन अब भारत में भी हो रहा है।
ब्रह्मोस मिसाइल
Brahmos Missile: भारतीय सेना में ब्रह्मोस मिसाइल को जब शामिल किया गया तो चीन को बेहद नागवार गुजरा था। लेकिन सामरिक नजरिए से चीन को काउंटर करने के लिए इस मिसाइल का होना जरूरी थी। अब इस मिसाइल का ना सिर्फ उत्पादन भारत में किया जा रहा है, बल्कि इसे दूसरे देशों की सेना को बेचने की दिशा में काम तेजी से जारी है। हाल ही में फिलीपींस से 375 मिलियन डॉलर का सौदा होने के बाद अब इंडो रसियन ब्रह्मोस एयरोस्पेस फर्म की नजर साउथ ईस्ट एशिया और मिडिल ईस्ट के देशों पर टिक गई है। वॉयन के मुताबिक ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ अतुल दिनकर राणे ने बताया कि इंडोनेशिया के साथ इस दिशा में बातचीत आगे बढ़ रही है।
हाइपरसोनिक मिसाइल के लिए तकनीक का इंतजार
उन्होंने कहा कि हमारे पास 2027 तक की शानदार ऑर्डर बुक हैय़ कुछ नए ऑर्डर आने के साथ हमारे पास 2031 तक की ऑर्डर बुक है। हाइपरसोनिक मिसाइलों ब्रह्मोस के बारे में कहा कि एयरोस्पेस भी उस मोर्चे पर काम कर रहा है। राणे ने कहा कि कुछ देश हाइपरसोनिक मिसाइलों पर काम कर रहे हैं और सिस्टम का परीक्षण किया जा रहा है। भारत के परिदृश्य पर उन्होंने कहा कि भारत की सरकार द्वारा संचालित रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला डीआरडीओ और उनके रूसी समकक्ष संबंधित प्रौद्योगिकी के विकास पर काम कर रहे हैं। एक बार तकनीक उपलब्ध हो जाने के बाद, ब्रह्मोस इसका इस्तेमाल हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने के लिए करेगा हम उस तकनीक के तैयार होने का इंतजार कर रहे हैं।
यूक्रेन-रूस युद्ध के असर से इनकार नहीं
चेन्नई में चेकआउट उपकरण के बारे में कहा कि एक परिष्कृत मशीन है जो मिसाइल के ऑन-बोर्ड सभी महत्वपूर्ण विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उप-प्रणालियों के काम पर गहराई से निदान कर सकती है। एक बार जब कोई मिसाइल एक सफल चेकआउट पूरा कर लेती है, तो उसे फ्रंटलाइन में उपयोग के लिए चालू घोषित कर दिया जाता है।ब्रह्मोस मिसाइल को दस साल तक चलने के लिए बनाया गया है। हर साल भारतीय सशस्त्र बल ब्रह्मोस मिसाइल की पूर्ण स्वास्थ्य जांच करते हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह सही स्थिति में है। और उस पर परीक्षण किए जाते हैं और विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त की जाती है।भारत-रूस ब्रह्मोस आपूर्ति श्रृंखला पर यूक्रेन-रूस युद्ध के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर राणे ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति किसी भी आपूर्ति श्रृंखला के लिए परेशानी लाती है और महामारी ने भी ऐसा किया है। हालांकि ये केवल छोटे स्पीड ब्रेकर और रोडब्लॉक थे और ब्रह्मोस की आपूर्ति श्रृंखला मजबूत है।
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