INS Arighat Submarine: समुद्र में अपनी दूसरी परमाणु पनडुब्बी उतारने को तैयार भारत, जानिए कैसे पड़ेगा दुश्मनों पर भारी

India's INS Arighat Submarine: आईएनएस अरिघात अगले एक या दो महीने के भीतर चालू हो जाएगा। इसके बाद यह आईएनएस अरिहंत के साथ समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात हो जाएगा जो 2018 से पूरी तरह से काम कर रहा है।

दुश्मनों पर भारी पड़ेगा INS Arighat (Photo- DRDO)

मुख्य बातें
  • सीमाओं पर दुश्मनों के मुकाबले के लिए भारत बढ़ा रहा अपनी समुद्री ताकत
  • भारत परमाणु मिसाइलों से लैस अपनी दूसरी परमाणु पनडुब्बी हिंद महासागर में उतरेगा
  • आईएनएस अरिहंत के साथ समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात हो जाएगा
Nuclear-Armed Submarine INS Arighat Submarine: दुश्मनों के मुकाबले के लिए भारत अपनी समुद्री ताकत लगातार बढ़ा रहा है। भारत जल्दी ही परमाणु मिसाइलों से लैस अपनी दूसरी परमाणु पनडुब्बी को हिंद महासागर में उतारने के लिए तैयार है। इसके अलावा दो और परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण की परियोजना को भी अंतिम मंजूरी मिलनी बाकी है। 6000 टन के आईएनएस अरिघात (INS Arighat) का निर्माण विजग में जहाज निर्माण केंद्र (SBC) में किया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय तक किए गए परीक्षणों के बाद यह कमीशनिंग के लिए पूरी तरह से तैयार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि परीक्षणों के दौरान सामने आए तकनीकी समस्याओं को पूरी तरह सुलझा लिया गया और इसमें जरूरी अपग्रेड कर दिए गए हैं।

आईएनएस अरिहंत के साथ तैनात होगा आईएनएस अरिघात

रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसएसबीएन (SSBN- परमाणु-चालित बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ परमाणु-संचालित पनडुब्बियों के लिए नौसैनिक भाषा) एक या दो महीने के भीतर चालू हो जाएगा। इसके बाद यह आईएनएस अरिहंत के साथ समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात हो जाएगा जो 2018 से पूरी तरह से काम कर रहा है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, टारपीडो, एंटी-शिप और जमीन पर हमला करने वाली मिसाइलों से लैस दो परमाणु-संचालित पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण के लिए 40,000 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। इस परियोजना को अंतिम मंजूरी के लिए पीएम की अगुवाई वाली सुरक्षा पर कैबिनेट समिति के समक्ष रखा गया है।
शुरुआत में एसबीसी में 'प्रोजेक्ट-77' के तहत छह ऐसी 6,000 टन की 'हंटर-किलर' पनडुब्बियों को तैयार करने का लक्ष्य था। बाद में इसे घटाकर तीन कर दिया गया और फिर आखिर में दो पनडुब्बियां बनाना तय किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले दो एसएसएन को बनने में कम से कम एक दशक लगेगा और यह लगभग 95% स्वदेशी होगा।
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