मालदीव की हर मोर्चे पर भारत ने की मदद, 1988 में तख्तापलट से बचाया, मुफ्त में भेजी कोरोना वैक्सीन

When India helped Maldives: मुइज्जू भारत विरोधी हैं, अब इसमें कोई शक नहीं। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपनी पहली यात्रा के लिए तुर्की को चुना। तुर्की का रुख भारत विरोधी है। इसके बाद वह चीन गए हैं। जानकारों का मानना है कि चीन समर्थक मुइज्जू के कार्यकाल में मालदीव के साथ रिश्ते बिगड़ने लाजिमी हैं।

भारत-मालदीव के रिश्ते में आया तनाव।

When India helped Maldives: मालदीव के चुनाव में 'इंडिया आउट' का नारा देकर मोहम्मद मोइज्जू ने अपने इरादे जाहिर किए थे कि वह चीन समर्थक हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद वह लगातार भारतीय हितों एवं भारत के खिलाफ बयान देते आए हैं। लक्षद्वीप को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में आए तनाव के बीच मुइज्जू चीन रवाना हो गए हैं। दोनों देशों के बीच राजनयिक टकराव भी बढ़ता दिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मालदीव के मंत्रियों के आपत्तिजनक बयान मामले में सोमवार को विदेश मंत्रालय ने इस द्विपीय देश के उच्चायुक्त को तलब कर विरोध जताया तो इसके कुछ घंटे बाद मालदीव ने भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया। उसने भारत को उसी के तेवर एवं लहजे में जवाब देने की कोशिश की।

अपनी पहली यात्रा पर तुर्की गए मुइज्जू

मुइज्जू भारत विरोधी हैं, अब इसमें कोई शक नहीं। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपनी पहली यात्रा के लिए तुर्की को चुना। तुर्की का रुख भारत विरोधी है। इसके बाद वह चीन गए हैं। जानकारों का मानना है कि चीन समर्थक मुइज्जू के कार्यकाल में मालदीव के साथ रिश्ते बिगड़ने लाजिमी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अब मालदीव को उसकी जगह दिखाने का समय आ गया है। मालदीव की आबादी करीब 5 लाख हैं। इस आबादी में ज्यादातर कट्टर सुन्नी मुसलमान हैं।

भारत निभाता आया है पड़ोसी धर्म

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्षद्वीप दौरा मालदीव के मंत्रियों को इतना बुरा लगा कि वे उनके खिलाफ आपत्तिजनक बयानबाजी करने लगे। यह मालदीव से पूछा जाना चाहिए कि भारत के प्रधानमंत्री को अपने ही देश में कहीं जाने और उसकी बेहतरी के लिए प्रयास करने के लिए उससे इजाजत लेनी पड़ेगी? भारत हमेशा से पड़ोसी होने का धर्म निभाता रहा है। ब्रिटिश हुकूमत से मालदीव जब आजाद हुआ तब से भारत हर मोर्चे पर उसकी मदद करता आया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, बनियादी संरचना से लेकर हर तरीके से भारत ने उसकी मदद की है। यहां तक नवंबर 1988 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल गयूम की सरकार के खिलाफ विद्रोह को भारत ने शांत किया। विद्रोही उनका तख्तापलट करने जा रहे थे। भारत ने तत्काल अपने 500 सैनिक वहां भेजे और 'ऑपरेशन कैक्टस' चलाकर गयूम की सरकार बचाई।

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