India vs China: चीन ने होटन क्षेत्र में दो नए काउंटी बनाने का किया ऐलान, तो भारत ने जताया विरोध; जानें पूरा माजरा

World News: भारत ने होटन क्षेत्र में दो नए काउंटी बनाने पर चीन के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है। भारत-चीन के विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सीमा वार्ता पुनः शुरू करने के कुछ दिनों बाद चीन ने दोनों काउंटी बनाने की घोषणा की है। इसके अलावा भारत ने ब्रह्मपुत्र पर चीन के बांध बनाने की योजना पर कहा है कि हितों की रक्षा के लिए जरूरी उपाय करेंगे।

India China Border

भारत-चीन सीमा (फाइल फोटो)

India lodged strong protest with China: भारत ने शुक्रवार को कहा कि उसने होटन प्रांत में दो नई काउंटी की घोषणा पर चीन के समक्ष ‘‘कड़ा विरोध’’ दर्ज कराया है, क्योंकि इनके कुछ हिस्से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के दायरे में आते हैं। भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि नए काउंटी बनाने से न तो क्षेत्र पर भारत की संप्रभुता के संबंध में दीर्घकालिक और सतत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही इससे चीन के ‘‘अवैध और जबरन कब्जे’’ को वैधता मिलेगी।

चीन ने होटन क्षेत्र में दो काउंटी बनाने की घोषणा की

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इन तथाकथित काउंटी के कुछ हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं और इस चीनी कार्रवाई का, संप्रभुता के संबंध में नयी दिल्ली के स्थायी रुख पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत-चीन के विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सीमा वार्ता पुनः शुरू करने के कुछ दिनों बाद चीन ने दोनों काउंटी बनाने की घोषणा की है। यह वार्ता लगभग पांच वर्षों से ठप थी।

जायसवाल ने कहा, ‘‘हमने चीन के होटन प्रांत में दो नए काउंटी बनाने से संबंधित घोषणा पर गौर किया है। इन तथाकथित काउंटी के अधिकार क्षेत्र के कुछ हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं।’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमने वहां भारतीय क्षेत्र पर अवैध चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नए काउंटी बनाने से न तो क्षेत्र पर भारत की संप्रभुता के संबंध में दीर्घकालिक और सतत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही इससे चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी।’’

भारत ने चीनी पक्ष के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया

जायसवाल ने कहा, ‘‘हमने राजनयिक माध्यमों से चीनी पक्ष के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है।’’ संबंधों में यह ताजा तनाव ऐसे समय पर उत्पन्न हुआ है जब भारत और चीन ने साढ़े चार साल से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध का समाधान किया है और अविश्वास को कम करने के लिए कदम उठाने की घोषणा की है। पिछले साल 21 अक्टूबर को बनी सहमति के बाद दोनों पक्षों ने डेमचोक और देपसांग के टकराव वाले स्थानों पर सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है।

भारत ने ब्रह्मपुत्र पर चीन के बांध बनाने की योजना पर क्या कहा?

तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध बनाने की अपनी योजना की चीन द्वारा घोषणा किए जाने के कुछ दिनों बाद, भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह निगरानी जारी रखेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक उपाय करेगा। प्रस्तावित बांध के प्रति अपनी पहली प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नयी दिल्ली ने बीजिंग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ब्रह्मपुत्र के ऊपरी इलाकों में गतिविधियों से नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों को नुकसान नहीं पहुंचे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘हम निगरानी जारी रखेंगे और अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।’’

यह आशंका जताई जा रही है कि बांध का निर्माण होने से अरुणाचल प्रदेश और असम में पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचेगा। ब्रह्मपुत्र इन दो राज्यों से होकर बहती है। जायसवाल ने कहा, ‘‘नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में जल के उपयोग का अधिकार रखने वाले देश के रूप में, हमने विशेषज्ञ स्तर के साथ-साथ कूटनीतिक माध्यम से, चीनी पक्ष के समक्ष उसके क्षेत्र में नदियों पर बड़ी परियोजनाओं के बारे में अपने विचार और चिंताएं लगातार व्यक्त की हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालिया रिपोर्ट के बाद, इन बातों को दोहराया गया है। साथ ही, नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के साथ पारदर्शिता बरतने और परामर्श की जरूरत बताई गई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीनी पक्ष से आग्रह किया गया है कि ब्रह्मपुत्र के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के हितों को नदी के प्रवाह के ऊपरी क्षेत्र में गतिविधियों से नुकसान नहीं पहुचे।’’

ब्रह्मपुत्र नदी पर सबसे बड़ा बांध बनाने की घोषणा

चीन ने गत वर्ष 25 दिसंबर को, तिब्बत में भारत से लगी सीमा के निकट ब्रह्मपुत्र नदी पर विश्व का सबसे बड़ा बांध निर्मित करने की अपनी योजना की घोषणा की थी। परियोजना पर 137 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत आने का अनुमान है। बांध के हिमालय पर्वतमाला क्षेत्र के पारिस्थितिकी रूप से नाजुक क्षेत्र में बनाने की योजना है। उपलब्ध विवरण के अनुसार, बांध हिमालय के एक बड़े खड्ड में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में प्रवाहित होने के लिए व्यापक रूप से ‘यू टर्न’ लेती है।

बांध संबंधी चीन की घोषणा ने भारत और बांग्लादेश के लिए चिंताएं पैदा की हैं। पिछले हफ्ते चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने परियोजना के बारे में आशंकाओं को तवज्जो नहीं देने की कोशिश की थी। उन्होंने भारत और बांग्लादेश की चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘परियोजना का नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि चीन नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के साथ संवाद जारी रखेगा और नदी के किनारे रहने वाले लोगों के लाभ के लिए आपदा निवारण व राहत पर सहयोग बढ़ाएगा।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। देश (India News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited