चीन का 'काल' न्योमा एयरबेस! 13 हजार फीट की ऊंचाई से ड्रैगन की चालबाजियों पर रहेगी भारत की नजर, पल भर में हमला बोल देंगे लड़ाकू विमान
Nyoma Airbase: रिपोर्टों के अनुसार लद्दाख में बन रहे इस एयरबेस पर लड़ाकू विमानों के साथ-साथ अत्याधुनिक रडार और ड्रोन भी तैनात किए जाएंगे। बताया जा रहा है कि यह आक्रामक चीन के खिलाफ भारत की आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाने की योजना का एक हिस्सा है।
न्योमा एयरबेस के विकास पर काम शुरू (फोटो- IAF)
Nyoma Airbase: भारत का लद्दाख में स्थित न्योमा बेस चीन के लिए काल माना जा रहा है। भारत सरकार इस बेस को लगातार विकसित करने में लगी है। एलएसी (LAC) से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह बेस, चीन की हर चालबाजियों पर नजर रखने में सक्षम होगा। 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस एयर बेस से भारतीय वायुसेना चीन की हर गतिविधि पर नजर रख सकेगी और जरूरत पड़ने पर चीन के खिलाफ एक्शन भी ले सकेगी।
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क्या होंगी खूबियां
रिपोर्टों के अनुसार लद्दाख में बन रहे इस एयरबेस पर लड़ाकू विमानों के साथ-साथ अत्याधुनिक रडार और ड्रोन भी तैनात किए जाएंगे। बताया जा रहा है कि यह आक्रामक चीन के खिलाफ भारत की आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाने की योजना का एक हिस्सा है। इसके विकास होने के बाद यहां सी-17 और आईएल-76, तेजस, राफेल और एसयू-30 एमकेआई जैसे लड़ाकू विमान यहां से उड़ान भर सकेंगे।
230 करोड़ रुपये होंगे खर्च
पूर्वी लद्दाख के न्योमा में एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) के विकास के लिए निर्माण कार्य 2023 के मई-जून से शुरू हुआ था। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि एएलजी को 2.7 किमी रनवे के साथ अपग्रेड किया जाएगा, जहां से लड़ाकू जेट सहित सभी प्रकार के फिक्स्ड-विंग विमान उड़ान भर सकते हैं। रिपोर्टों के अनुसार न्योमा एयरबेस के विकास में 230 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं। इसका विकास तीन चरणों में होगा। पहले चरण में इसका विस्तार होगा, दूसरे में हैंगर और तीसरे में बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाएगा। एएलजी का निर्माण 2025 के मध्य तक पूरा होने का अनुमान है।
जब चीन से हुई थी भिड़ंत
चीन के साथ जारी गतिरोध के दौरान, न्योमा एयरबेस पर लगातार विमान उतरा था। यहां कर्मियों और उपकरणों के परिवहन के लिए चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टरों और सी-130जे स्पेशल ऑपरेशंस विमानों को उड़ान भरते हुए देखा गया था। 2020 में पूर्वी लद्दाख में संकट के चरम के दौरान अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों से गरुड़ फोर्स को यहां उतारा गया था।
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