Seong Pow: भारत में आखिरी चीनी अखबार हुआ बंद, बचाने की हर तरकीब गई बेकार

कोरोना की पहली लहर के दौरान इसका वितरण रोक दिया गया था। फिर इसके संपादक बुजुर्ग कुओ-त्साई चांग की उसी साल जुलाई में मृत्यु इस अखबार की ताबूत में आखिरी कील साबित हुई।

China mandarin newspaper

भारत में चीन का आखिरी अखबार बंद

Chinese Newspaper: कोलकाता का और शायद भारत का एकमात्र मंदारिन अखबार, द ओवरसीज चाइनीज कॉमर्स ऑफ इंडिया बंद हो गया है। ये अखबार सेओंग पॉव नाम से भी जाना जाता है। शहर के पहले से ही तेजी से घटते चीनी समुदाय और उनकी संस्कृति के लिए ये एक झटका है। इसका आखिरी संस्करण मार्च 2020 में महामारी के दौरान लॉकडाउन से कुछ समय पहले छपा था। महामारी की पहली लहर के दौरान इसका वितरण रोक दिया गया था। फिर इसके संपादक बुजुर्ग कुओ-त्साई चांग की उसी साल जुलाई में मृत्यु इस अखबार की ताबूत में आखिरी कील साबित हुई।

1969 में हुआ था शुरू

1969 में चीनी समुदाय के नेता ली यून चिन ने सेओंग पॉव की शुरुआत की थी। यह भारत के पहले चीनी समाचार पत्र द चाइनीज जर्नल ऑफ इंडिया के 34 साल बाद शुरू हुआ था। चार पेज का सेओंग पॉव रिपोर्टरों की कमी के कारण चीन, ताइवान, हांगकांग और कोलकाता के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्रों से समाचार संकलित करता था। फिर इन्हें मंदारिन में अनुवादित करता था।

घट रही है चीनी आबादी

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कचरा कारोबारी दीपू मिस्त्री कहते हैं कि निश्चित तौर पर ये अब नहीं खुलेगा। मिस्त्री ने कहा कि कार्यालय में कुछ कुर्सियां और डेस्क, एक प्रिंटर और एक कंप्यूटर था। लेकिन संपादक की मृत्यु के बाद उनके सहायकों ने आना बंद कर दिया और जल्द ही फर्नीचर और उपकरण का हर टुकड़ा चोरी हो गया। चाइनीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष चेन याओ हुआ हर सुबह अखबार की एक कॉपी के साथ बड़े हुए थे। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हमें ऐसे उपयुक्त लोग नहीं मिल रहे हैं जो पेपर जारी रख सकें क्योंकि टांगरा में चीनी आबादी तेजी से घट रही है। कुछ युवा जो अभी भी यहां हैं, उनमें से अधिकांश न तो चीनी पढ़ सकते हैं और न ही लिख सकते हैं।

कोई तरकीब नहीं आई काम

चेन ने दिवंगत संपादक की सहायक हेलेन यांग को लोगों की भर्तियां कर उन्हें मंदारिन पढ़ाने को कहा गया था। वह चीनी बच्चों को मंदारिक की ट्यूशन देती थी। लेकिन ये योजनाएं कभी पूरी नहीं हुईं। शायद इसलिए क्योंकि आंशिक रूप से टांगरा आबादी भी बहुसंख्यक हक्का चीनी समुदाय में बदल गई है। इनके लिए मंदारिन अखबार खास मायने नहीं रखता है। इस तरह से इस अखबार ने धीरे-धीरे दम तोड़ दिया।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited