एक युग का अंत: इंडिया पोस्ट ने बंद की अपनी बुक पोस्ट सेवा, पुस्तक प्रेमियों के लिए बड़ा झटका

बिना किसी चर्चा, चेतावनी या परामर्श के इस सेवा को अचानक समाप्त कर दिया गया। पिछले हफ्ते, आरबीपी श्रेणी को आधी रात को डाक सॉफ्टवेयर से चुपचाप हटा दिया गया। आरबीपी अब कोई विकल्प नहीं है।

post office

बुक पोस्ट सेवा बंद

India Post Abolishes Book Post Service- 18 दिसंबर 2024 को इंडिया पोस्ट ने अपनी 'बुक पोस्ट' सेवा बंद करके पुस्तक प्रेमियों और पूरे पुस्तक उद्योग को बड़ा झटका दिया। रजिस्टर्ड बुक पोस्ट (RBP) सेवा के तहत, पांच किलो किताबों की शिपिंग की लागत मात्र 80 रुपये है, जिसकी दरें किसी भी कूरियर सेवा से कहीं अधिक बेहतर हैं। इसके अलावा, 19,101 पिन कोड और भारत में 154,725 डाकघरों को कवर करने वाले इंडिया पोस्ट के विशाल नेटवर्क ने तेज डिलीवरी सुनिश्चित की और अधिकांश पार्सल एक सप्ताह के भीतर पहुंचते हैं। एक शहर के भीतर स्थानीय डिलीवरी अक्सर अगले दिन अपने गंतव्य तक पहुंच जाती है। सरकार ने पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ये रियायती दरें तय की थीं। किताबों और पत्रिकाओं पर ये रियायत मिलती थी।

सेवा को अचानक समाप्त कर दिया गयालेकिन बिना किसी चर्चा, चेतावनी या परामर्श के इस सेवा को अचानक समाप्त कर दिया गया। पिछले हफ्ते, आरबीपी श्रेणी को आधी रात को डाक सॉफ्टवेयर से चुपचाप हटा दिया गया। आरबीपी अब कोई विकल्प नहीं है। इस सेवा का बंद होना प्रकाशन उद्योग के लिए झटका है । शिपिंग शुल्क बढ़ने के साथ कई पाठक 100 रुपये की कीमत वाली किताब पर 78 रुपये का डाक शुल्क देने में संकोच करते हैं। इस फैसले से देश की पहले से ही कमजोर पढ़ने की संस्कृति के और कमजोर होने का खतरा है।

आरबीपी और पंजीकृत पार्सल के बीच शुल्क में भारी अंतर

एक किलो आरबीपी की कीमत 32 रुपये है, जबकि पंजीकृत पार्सल की कीमत 78 रुपये है। दो किलोग्राम के लिए दरें क्रमश: 45 रुपये और 116 रुपये और पांच किलोग्राम के लिए 80 रुपये और 229 रुपये हैं। नमूना पुस्तकों पर 5% आयात शुल्क लगता है। विदेशी प्रकाशक अक्सर विदेशी भाषाओं में हमारे प्रकाशनों के अनुवाद की मानार्थ प्रतियां भेजते हैं, फिर भी यह पहली बार है कि सरकार ने इस तरह का शुल्क लगाया है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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