UN में भारत ने पाकिस्तान को दिखाया आईना, विदेश मंत्री ने लादेन-संसद हमले का किया जिक्र

संयुक्त राष्ट्र संघ में विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने ओसामा बिन लादेन और संसद हमले का जिक्र कर पाकिस्तान को आइना दिखाया।

खुद को आतंकवाद से पीड़ित बताने वाले पाकिस्तान(Pakistan on Terrorism) की कथनी और करनी में अंतर जगजाहिर है। कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के हुक्मरान राग अलापते ही रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र के मंच पर जब वहां के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो(Bilawal Bhutto) ने कश्मीर का जिक्र किया तो विदेश मंत्री डॉ एस जयशकंर(Dr S jaishankar) ने करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया के सामने बेहतर सामंजस्य बनाने की चुनौती है और उस दिशा में भारत का नजरिया साफ है। निश्चित तौर पर हमारे अपने विचार हैं। यह एक सतत प्रकिया है और सामंजस्य बनाने की कोशिश में देरी नहीं होनी चाहिए। विदेश मंत्री ने अपने भाषण में पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden)को शरण देने के साथ साथ भारतीय संसद पर (Indian Parliament Attack)हमले का भी जिक्र किया।

पाकिस्तान को खरी खरी

डॉ एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ कितना प्रभावी होगा वो इस बात पर निर्भर करता है कि महामारी, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वो कितना बेहतरीन तरीके से अपनी भूमिका निभाता है। हम लगातार बेहतर समाधान की दिशा में काम करते हैं लेकिन हमें उन हालातों को विचारों को कभी स्वीकार नहीं करना चाहिए जो रिश्तों और संबंधों को बेहतर बनाने में रोड़ा बनने का काम करते हैं। अगर किसी कुकृत्य को दुनिया के मुल्क आलोचना करते हैं उसे किसी तरह का मंच नहीं मिलना चाहिए। यह सब उन देशों पर लागू होता है जो सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, आप कैसे उस मुल्क को महत्व देने के बारे में सोच सकते हैं जिसने ओसामा बिन लादेन को अपनी धरती पर रखा हो और भारत की संसद पर हमला कराने के लिए जिम्मेदार हो। 2001 के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के लिए लादेन जिम्मेदार था और उसे पाकिस्तान की धरती एबोटाबाद में अमेरिकी कमांडो ने मार गिराया था।

'कश्मीर अधूरा एजेंडा'

बिलावल भुट्टो द्वारा कश्मीर को अधूरा एजेंडा कहे जाने के बाद जयशंकर की टिप्पणी की गई थी। "संयुक्त राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए आवश्यक लोकतंत्रीकरण" के रूप में परिभाषित करने के बारे में बोलते हुए, उन्होंने ट्विटर पर अपने संबोधन की एक क्लिप साझा की और लिखा कि स्थायी सदस्य के अभिजात्य क्लब में विस्तार नहीं, अधिक सत्तावादी वोट शक्ति। निश्चित रूप से कश्मीर एक अधूरा एजेंडा, UNSC और बहुपक्षवाद की परीक्षा है। विदेश मंत्री ने भी बीजिंग पर निशाना साधा क्योंकि उन्होंने कहा कि आतंकवाद की चुनौती पर भले ही दुनिया अधिक सामूहिक प्रतिक्रिया के साथ एक साथ आ रही है, अपराधियों को सही ठहराने और बचाने के लिए बहुपक्षीय मंचों का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह चीन के लिए एक मौन संदर्भ था जिसने जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने के लिए कई मौकों पर भारत और अमेरिका द्वारा बोलियों पर रोक लगा दी थी।
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ललित राय author

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