भारत को वापस मिल रहा शिवाजी का ऐतिहासिक 'वाघ नख', इसी से किया था अफजल खान को ढेर
छत्रपति शिवाजी के ऐतिहासिक वाघ नख को भारत वापस लाने की तैयारियां तेज हो गई हैं। महाराष्ट्र सरकार में संस्कृति मंत्री सुधीर मुगंटीवार इस महीने लंदन की यात्रा कर सकते हैं।
वीर शिवाजी का वाघ नख
Shivaji Wagh Nakh: वीर छत्रपति शिवाजी का ऐतिहासिक खंजर 'वाघ नख' भारत को वापस मिलने जा रहा है। ये वही वाघ नख यानि बाघ नख है जिससे वीर शिवाजी ने अफजल खान को ढेर किया था। महाराष्ट्र सरकार इस महीने लंदन पहुंचेगी, जहां इसे लेकर MoU पर दस्तखत किए जाएंगे। वाघ नख की इसी साल घर वापसी होगी। शिवाजी ने 1659 में इस खंजर से ही बीजापुर सल्तनत के अफजल खान को ढेर कर दिया था।
लंदन की यात्रा करेंगे सुधीर मुगंटीवार
महाराष्ट्र सरकार में संस्कृति मंत्री सुधीर मुगंटीवार इस महीने लंदन की यात्रा कर सकते हैं। उन्होंने कहा, 3 अक्टूबर को हम लंदन में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे और नवंबर में 'वाघ नख' वापस लाएंगे। 'वाघ नख' हमारे लिए सिर्फ एक चीज नहीं है बल्कि आस्था का प्रतीक है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें ब्रिटेन के अधिकारियों से पत्र मिला है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे छत्रपति शिवाजी महाराज के वाघ नख को लौटाने के लिए तैयार हैं। हिंदू कैलेंडर के आधार पर हम इसे उस दिन की सालगिरह पर भी हासिल कर सकते हैं, जिस दिन शिवाजी ने अफजल खान को मार दिया था।
उन्होंने कहा, MoU साइन करने के अलावा हम शिवाजी की जगदंबा तलवार समेत अन्य चीजों के बारे में भी सोचेंगे, जो फिलहाल ब्रिटेन में हैं। वाघ नख का वापस आना महाराष्ट्र और उसकी जनता के लिए बड़ा कदम है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, अफजल खान के मारे जाने की तारीख 10 नवंबर है, लेकिन हम हिंदू तिथि कैलेंडर के आधार पर तारीखों पर भी काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ नख इतिहास का अमूल्य खजाना है और राज्य के लोगों की भावनाएं उनके साथ जुड़ी हुई हैं।
कैसा है वाघ नख
इस खंजर का आगे का हिस्सा बेहद नुकीला है, जो देखने में बाघ के नाखूनों की तरह लगता है। इसमें दो रिंग भी शामिल हैं, जिसकी मदद से इसे शिवाजी ने पहना था और अफजल खान को मार गिराया था। अफजल बेहद ऊंचा लंबा था, लेकिन चपल शिवाजी ने गले मिलने के दौरान अफजल को इस वाघ नख से ढेर कर दिया था। स्टील से बने वाघ नख में एक पट्टी पर चार पंजे लगे हैं, जिसमें पहली और चौथी उंगलियों के लिए दो छल्ले हैं।
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अमित कुमार मंडल author
करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव ...और देखें
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