कतर में नौसेना के 8 अधिकारियों को बचाने के लिए गुपचुप प्रयास शुरू, कई विकल्पों का इस्तेमाल कर सकता है भारत
Qatar Indian Navy: जिन संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है उनमें फैसले के खिलाफ अपील दायर करना या दोषी कैदियों के स्थानांतरण के लिए 2015 में भारत और कतर द्वारा हस्ताक्षरित समझौते का उपयोग करना है ताकि वे अपने गृह देश में अपनी सजा पूरी कर सकें। पता चला है कि भारत को कतर की अदालत के फैसले की प्रति अभी तक नहीं मिली है।
विदेश मंत्रालय
Qatar Indian Navy: कतर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय सक्रिय हो गया है। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने इस फैसले के खिलाफ और मुद्दे का समाधान खोजने के लिए गुपचुप प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि भारत फैसले के खिलाफ अदालत में अपील करने समेत विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है।
सूत्रों ने कहा कि मुद्दे का समाधान खोजने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। पता चला है कि भारत को कतर की अदालत के फैसले की प्रति अभी तक नहीं मिली है। हालांकि, अदालत के फैसले पर न ही कतर और न ही भारतीय अधिकारियों द्वारा अभी तक कोई टिप्पणी की गई है।
कूटनीतिक तरीकों से मुद्दे को सुलझा सकता है भारत
मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि फैसले की गहन जांच के बाद नयी दिल्ली अपने विकल्पों पर आगे बढ़ेगी। सूत्रों ने बताया कि भारत मामले को कूटनीतिक या राजनीतिक तौर पर भी सुलझाने पर विचार कर सकता है। भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को कतर की अदालत की ओर से बृहस्पतिवार को मौत की सजा सुनाए जाने पर भारत ने कहा था कि वह इस फैसले से बेहद हैरान है और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है। ये सभी आठ भारतीय नागरिक अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी हैं जिन्हें पिछले साल जासूसी के कथित मामले में हिरासत में ले लिया गया था।
इस विकल्प पर भी विचार कर रहा भारत
जिन संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है उनमें फैसले के खिलाफ अपील दायर करना या दोषी कैदियों के स्थानांतरण के लिए 2015 में भारत और कतर द्वारा हस्ताक्षरित समझौते का उपयोग करना है ताकि वे अपने गृह देश में अपनी सजा पूरी कर सकें। सजा पाए व्यक्तियों के हस्तांतरण पर समझौते को उसी वर्ष कतर पक्ष द्वारा अनुमोदित किया गया था और यह कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी द्वारा भारत की राजकीय यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित छह समझौतों में से एक था।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख भी कर सकता है भारत
इस मामले में भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की भी संभावना है। जैसा कि पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले में किया गया था, जिन्हें 2016 में पाकिस्तानी अधिकारियों ने हिरासत में लिया था और बाद में कथित जासूसी के आरोप में एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
(एजेंसी इनपुट)
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