कंगाल पाकिस्तान पर भारत की 'वाटर स्ट्राइक', जानें क्या है पूरा मामला
भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ था। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत सिंधु की सहायक नदियों पर बांध बनाकर जल प्रवाह को रोक रहा है जो समझौते का उल्लंघन है।
1960 में हुआ था इंडस वाटर ट्रीटी
पाकिस्तान इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। एक डॉलर की कीमत 255 रुपए, आटे की कीमत 3 हजार रुपए, पाकिस्तान के गांव, कस्बे और शहर ब्लैक आउट का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ मदद की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच पाकिस्तान का भारत विरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पाकिस्तान लगातार विश्व बैंक से मांग करता रहा है कि सिंधु जल समझौता 1960 में वो दखल दे। पाकिस्तान ने निष्पक्ष एक्सपर्ट और कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन की मांग की है। हालांकि भारत ने साफ किया है कि पाकिस्तान की मांग इंडर वाटर ट्रीटी के किसी प्रोविजन से ताल्लुक नहीं
है। यानी कि पाकिस्तान की मांग ही गलत है।
पाकिस्तान को भारत ने भेजा नोटिस
भारत ने पाकिस्तान को सितंबर 1960 में इंडस वाटर ट्रीटी में संशोधन के लिए नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 25 जनवरी 2022 को दोनों देशों के इंडस वाटर कमिश्नर के जरिए दी गई।इस नोटिस का मकसद यह है कि 90 दिनों के अंदर दोनों देशों की सरकारें इस मुद्दे पर बातचीत के लिए आगे आएं। ताकि इंडस वाटर के समझौते में जो उल्लंघन हुआ है उसे दूर किया जा सके। इसके साथ ही पिछले 62 वर्षों में जो अनुभव हासिल हुए हैं उन्हें भी शामिल किया जाए।
क्या है इंडस वाटर ट्रीटी 1960
सूत्रों के मुताबिक, 2015 में, पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रातले हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स पर अपनी तकनीकी आपत्तियों की जांच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए अनुरोध किया था। 2016 में, पाकिस्तान ने एकतरफा रूप से इस अनुरोध को वापस ले लिया और प्रस्तावित किया कि एक मध्यस्थता अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए। संधि के तहत पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) को पाकिस्तान और पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलज) के जल को भारत उपयोग करेगा। साथ ही यह संधि प्रत्येक देश को दूसरे को आवंटित नदियों पर कुछ निश्चित उपयोग की अनुमति देती है।
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