बांग्लादेश संकट पर पूर्व उच्चायुक्त का बड़ा बयान, बोले- भारत को सीमा पर बहुत सतर्क रहना होगा

Bangladesh Coup: बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों और सेना के दबाव की वजह से शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और फिर एक सैन्य विमान से देश छोड़कर चली गईं। फिलहाल शेख हसीना भारत में हैं और ब्रिटेन से पॉलिटिकल असाइलम की अपील की है। हालांकि, ब्रिटेन का अभी कोई जवाब नहीं आया है।

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Bangladesh Coup: बांग्लादेश में अशांत हालात के एक बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल में तब्दील होने के बीच, पूर्व भारतीय उच्चायुक्त पंकज सरन ने आगाह किया है कि इस संकट के मद्देनजर भारत को सीमा पर ‘‘बहुत सतर्क’’ रहना होगा। साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि नयी दिल्ली ‘‘सभी परिस्थितियों के लिए तैयार’’ रहेगी।

वरिष्ठ राजनयिक और बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त रहे पंकज सरन के (ढाका में) कार्यकाल के दौरान ही 2015 में भारत की संसद ने ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौता (एलबीए) का अनुमोदन किया था।

पंकज सरन ने क्या कुछ कहा?

सरन ने सोमवार को कहा कि पड़ोसी देश में हालात कब सुधरेंगे, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा, ‘‘हमें बांग्लादेश के अंदर विभिन्न राजनीतिक ताकतों के बीच कुछ संतुलन बनने का बस इंतजार करना होगा।’’

शेख हसीना (76) ने अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बीच, सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया। हजारों प्रदर्शनकारियों ने ढाका में उनके आधिकारिक आवास में लूटपाट और तोड़फोड़ की।

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सरन ने 2012 से 2015 तक ढाका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में सेवा दी थी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों से समस्या बनी हुई है और (बांग्लादेश) सरकार इसपर काबू पाने में नाकाम रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिनों में प्रदर्शन काफी बढ़ गया। इसलिए, प्रदर्शनों की रोकथाम करने की दिशा में कुछ निर्णय लिये जाने थे।’’

उन्होंने समाचार एजेंसी भाषा से कहा, ‘‘मुझे लगता है, स्थिति उस बिंदु पर पहुंच गई जहां यह स्पष्ट था कि कर्फ्यू और अन्य प्रतिबंध पर्याप्त नहीं थे। पुलिस और सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर्याप्त नहीं थी और एकमात्र उपाय जो बचा था वह था सेना बुलाना।’’ पूर्व उच्चायुक्त ने कहा, ‘‘हसीना के पास पद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।’’

इस्तीफे का जमीनी स्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा

उन्होंने कहा, ‘‘केवल एक ही मुद्दा बचा था, वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना था, जिसमें (बांग्लादेशी) सेना ने मदद की। इसलिए अब हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां अनिवार्य रूप से (बांग्लादेश में) सेना ने कमान संभाल ली है।’’ राजनयिक ने कहा, ‘‘उन्होंने एक अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की है। सरकार में कौन-कौन शामिल होने जा रहा, इस पर वे राष्ट्रपति के साथ चर्चा करने जा रहे हैं।’’

सरन ने कहा कि ‘‘अगले कुछ दिन महत्वपूर्ण होंगे’’ और यह देखने की जरूरत है कि उनके इस्तीफे का जमीनी स्तर पर स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी शासन में शून्य पैदा हो गया है जहां सेना स्थिति संभाल रही है। लेकिन...अब हमें देखना होगा...क्या इस स्थिति और इस घटनाक्रम से सड़कों पर विरोध प्रदर्शन रुकेगा और छात्रों की वापसी होगी... और सड़क पर हिंसा में कमी आएगी। हमें यह देखना होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह भी देखना होगा कि अवामी लीग के सदस्यों, सरकार के सदस्यों और अन्य समर्थकों पर किस कदर हमले होते हैं। यह सब देखने को मिलेगा और यह भी (देखने की जरूरत है) कि सेना स्थिति से कैसे निपटती है और नियंत्रित करती है। मुझे लगता है कि यह स्पष्ट है कि कुछ राजनीतिक ताकतें हैं जो राजनीतिक हित साधने के लिए छात्रों की शिकायतों का इस्तेमाल एक अवसर के रूप में कर रही हैं।’’

पूर्व उच्चायुक्त ने कहा कि यह एक ‘‘नया बांग्लादेश, एक नई पीढ़ी’’ है और उसकी सोच 40 साल या 30 साल पहले के बांग्लादेश से ‘‘बहुत अलग’’ है। उन्होंने कहा कि इन राजनीतिक तत्वों का लोगों पर कितना प्रभाव पड़ेगा उसे भी देखना होगा। भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक संबंध है। नयी दिल्ली ने बांग्लादेश के 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान उसकी सहायता की थी।

'सीमा पर सतर्क रहना होगा'

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर, मौजूदा घटनाक्रम के तत्काल प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर है, अतीत के प्रति अति-प्रतिक्रिया हो सकती है। यह अति-प्रतिक्रिया (भारत-बांग्लादेश) सीमा पर कुछ परेशानी, कुछ भारत विरोधी बयान के रूप में देखने को मिल सकती है।’’

सरन ने कहा, ‘‘इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सीमा पर सतर्क रहना होगा कि बांग्लादेश से भारत में किसी भी व्यक्ति की आवाजाही न हो... हमें सीमा पर बहुत सतर्क रहना होगा। इसकी तत्काल आवश्यकता है।’’

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भारत और बांग्लादेश 4,096.7 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं। यह भारत द्वारा अपने किसी भी पड़ोसी के साथ साझा की जाने वाली सबसे लंबी स्थल सीमा है।

सरन ने कहा कि यह माहौल जितने अधिक समय तक जारी रहेगा, बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर इसका उतना ही अधिक प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘...चीजें सामान्य होने में कुछ महीने लग सकते हैं... हमें बस विभिन्न राजनीतिक ताकतों के बांग्लादेश के अंदर कुछ संतुलन स्थापित करने का इंतजार करना होगा।’’

सरन ने कहा कि हालांकि, दोनों देशों की सरकारों के बीच संबंध स्पष्ट रूप से प्रभावित होंगे, लेकिन दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध और व्यापार जारी रहेंगे।

(इनपुट: भाषा)

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अनुराग गुप्ता author

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