Hybrid War: हाइब्रिड युद्ध की चुनौतियों के लिए तैयार हो रही भारतीय सेना

Indian Army Hybrid Warfare: सेना ने क्लाउड नेटवर्क के माध्यम से स्वचालन (ऑटोमेशन) को आगे बढ़ाने में प्रगति की है। अन्य दो सेवाओं की तरह, सेना सुरक्षित द्वि-दिशात्मक संचार के लिए एसडीआर को एकीकृत करने के लिए सेना के प्रयासों को 'मैन-पोर्टेबिलिटी' की आवश्यकताओं को पूरा करना आवश्यक है ताकि पैदल सेना के कर्मियों की गतिशीलता प्रभावित न हो।

हाइब्रिड वार की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है भारतीय फौज

Indian Army Hybrid Warfare: पिछले कुछ दशकों में युद्ध के पारंपरिक तरीकों में व्यापक बदलाव आए हैं और टेक्नॉलजी के विकास के साथ वर्तमान व भविष्य के युद्ध केवल युद्धक्षेत्र में ही नहीं लड़े जाएंगे। साइबर क्षमताओं व सूचना तकनीक के नए आयाम युद्ध कौशल में महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं, जिन्हें हाइब्रिड(Hybrid War) युद्ध के नाम से जाना जाता है।नेटवर्क केंद्रित युद्ध एक व्यापक गतिविधि है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के तहत भारतीय सेना खुद को हाइब्रिड युद्ध के सभी चुनौतियों के लिए तैयार कर रही है। भारतीय सेना(Indian Army Cyber Technology) ने साइबर प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने और अपनी साइबर युद्ध क्षमताओं को विकसित करने के लिए कई पहल की हैं। भारतीय सेना में कई साइबर-संबंधित संचार और सूचना प्रणाली को भी एकीकृत किया जा रहा है। शीर्ष स्तर पर, सेना के सेवा मुख्यालय और सेवा के कमांड मुख्यालय को डिजिटल रूप से जोड़ा जा रहा है या पहले से ही जुड़ा हुआ है।
सेना के कॉर्प्स ऑफ सिग्नल और सूचना प्रणाली महानिदेशालय सेना की साइबर क्षमताओं का संस्थागत आधार का निर्माण करते हैं। ये संगठन नेटवर्क केंद्रित युद्ध (नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर) और किसी भी अन्य प्रासंगिक सैन्य मिशनों और संचालन के लिए सामरिक और परिचालन स्तर के संसाधन उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार हैं।ये दोनों संगठन सेना के विभिन्न कमांड केंद्रों के बीच कनेक्टिविटी सुनिश्चित करते हैं। मिलिट्री कॉलेज ऑफ़ टेलीकम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग अत्याधुनिक साइबर रेंज और साइबर लैब के माध्यम से साइबर युद्ध में प्रशिक्षण आयोजित करता है। ऐसा समझा जाता है कि मिलिट्री कॉलेज ने कुछ प्रयोगशालाएँ स्थापित की हैं जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि के क्षेत्रों में अनुसंधान किया जा रहा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

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