Indian Army: गोरखा रेजिमेंट्स में 10 हजार से ज्यादा नेपाली गोरखा सैनिकों की कमी, 2020 से नहीं हुई एक भी भर्ती
Indian Army: 2022 में सेना में नई तरह की भर्ती प्रक्रिया अग्निपथ का ऐलान हुआ और नेपाल को इससे ऐतराज था जिसकी वजह से उसने नेपाल के गोरखाओं को भारतीय सेना में शामिल होने से रोक दिया।
भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट्स में दस हज़ार से ज्यादा नेपाली गोरखा सैनिकों की कमी (फोटो- Indian Army)
Indian Army: भारतीय सेना में 200 साल पुरानी गोरखा रेजिमेंट (Gorkha Regiment) में नेपाली गोरखा सैनिकों की भारी कमी दर्ज की गई है। पिछले 3 सालों में भारतीय सेना की गोरखा पलटनो में 10,000 से 12,000 गोरखा जवानों की कमी दर्ज कीपे जा रही है। 2020 में कोविड-19 के बाद सेना में जवानों की भर्ती रैलियों पर रोक लग गई थी, जिसकी वजह से कोई भी नई भर्ती नहीं हो सकी और यह बैकलॉग बढ़ता गया।
नेपाल को ऐतराज
2022 में सेना में नई तरह की भर्ती प्रक्रिया अग्निपथ का ऐलान हुआ और नेपाल को इससे ऐतराज था जिसकी वजह से उसने नेपाल के गोरखाओं को भारतीय सेना में शामिल होने से रोक दिया। 2020 के बाद से भारतीय सेना में एक भी नेपाली गोरखा भर्ती नहीं हो सका और पिछले 3 सालों में भारतीय सेना की गोरखा बटालियन्स में 10,000 से 12,000 गोरखा कम हो गए हैं।
नहीं निकल पाया समाधान
भारत सरकार ने लगातार इस मुद्दे पर नेपाल से बातचीत करने की कोशिश की है लेकिन अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकल सका है। इंडियन आर्मी में 7 गोरखा रेजिमेंट की तिरालिस यूनिट्स है, जिनमें लगभग 40 से 45 हजार गोरखा हैं, लेकिन अब नेपाल के गोरखा सैनिकों की संख्या लगातार कम हो रही है क्योंकि हर साल गोरखा जवान रिटायर हो रहे हैं या फिर स्वेच्छा से सेना को छोड़ रहे हैं, ऐसे में अपने शौर्य और साहस के लिए जानी जाने वाली गोरखा पलटन नेपाल के गोरखाओं की कमी से जूझ रही है।औसतन हर बटालियन में तक़रीबन 250 नेपाल के गोरखा की कमी है।
200 साल पुराना इतिहास
गोरखा रेजिमेंट का इतिहास भारत में 200 साल पुराना है। आजादी के बाद भारत में जितने भी युद्ध लड़े उनमें गोरखा पलटनों की भूमिका अहम रही है, खास तौर पर नेपाल के गोरखाओं को सबसे ज्यादा साहसी और निडर माना जाता है, यही वजह है कि भारतीय सेना में हमेशा से इनकी जगह खास रही है, लेकिन अग्निपथ योजना के बाद इनकी भर्ती ना होने से इनकी कमी न सिर्फ भारतीय सेना को खल रही है बल्कि इनके नाम से जानी जाने वाली गोरखा पलटन में संकट गहरा गया है।
तीन देशों की सेना में गोरखा
लद्दाख में गलवान से लेकर जम्मू कश्मीर तक गोरखा पलटन का बोल बाला है, गोरखा पलटन दुनिया की एकलौती ऐसी रेजिमेंट है जो 3 देशों में सेना का अभिन्न अंग है। इस कमी के बावजूद अब भी सबसे ज्यादा गोरखा सैनिक भारतीय सेना में है और उसके बाद ब्रिटिश आर्मी और नेपाल की सेना में भी गोरखा रेजिमेंट का बोलबाला है। भारतीय सेना की इस रेजिमेंट में नेपाली गोरखा और भारतीय गोरखा दोनों शामिल है लेकिन भारतीय सेना के लिए एक परेशानी पिछले तीन सालों में नेपाल के गोरखा की संख्या में भारी गिरावट हुई है।
भारतीय सेना के सामने मुश्किल
भारतीय सेना के अधिकारियों के मुताबिक़ आज़ादी से पहले तक गोरखा रेजिमेंट में करीब 90 फ़ीसदी गोरखा सैनिक नेपाल के होते थे और 10 फ़ीसदी भारतीय गोरखा लेकिन जैसे समय बीता इसका प्रतिशत 80:20 किया गया और बाद में इसे 60:40 तक कर दिया गया यानि 60 फ़ीसदी नेपाली डोमेसाइल गोरखा और 40 फ़ीसदी भारतीय डोमेसाइल गोरखा। पिछले कुछ सालों में भारतीय सेना को न सिर्फ नेपाल के गोरखा मिलने में मुश्किल हो रही है बल्कि भारतीय डोमिसाइल के गोरखा भी सेना में कम भर्ती हो रहे हैं। ऐसे में भारतीय सेना ने हाल ही में गढ़वाल और कुमाऊं के युवाओं को इस रेजिमेंट में भर्ती करना शुरू किया है। ये पहली बार है जब गोरखा रेजिमेंट में गोरखा के अलावा किसी और क्षेत्र के युवाओं को शामिल किया गया।
आजादी के वक्त 10 रेजिमेंट
आजादी के वक्त अंग्रेजों की स्थापित की गई गोरखा रेजिमेंट की कुल संख्या 10 थी लेकिन आज़ादी के बाद जब सेना का बंटवारा हुआ तो 4 रेजिमेंट 2,6,7 और 10 ब्रिटिश ने अपने पास रखी तो 6 रेजिमेंट 1,3 ,4,5,8और 9 भारत के पास आई,और आजादी के बाद भारतीय सेना ने गोरखा की एक और रेजिमेंट स्थापित की जिसे 11 गोरखा रेजिमेंट के नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश के पास गए 4 में से एक रेजिमेंट डिसबैन हो गई।
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