Indian Navy बढ़ाएगी ब्रह्मोस का जखीरा, रक्षा मंत्रालय ने किया BAPL के साथ 1700 करोड़ का करार

MoD ने नेक्स्ट जेनरेशन मैरीटाइम मोबाइल कोस्टल बैटरी (लॉन्ग रेंज) और ब्रह्मोस मिसाइल के लिए ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 1,700 करोड़ रुपये का अनुबंध किया है।

BrahMos missile, Indian Army

MoD ने BAPL के साथ किया करार

BrahMos Aerospace Private Limited: भारतीय सेना की ताकत बढ़ाने के लिए गुरुवार को रक्षा मंत्रालय ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BAPL) के साथ कई करार किए हैं। रक्षा मंत्रालय ने 30 मार्च, 2023 बीएपीएल के साथ नेक्स्ट जेनरेशन मैरीटाइम मोबाइल कोस्टल बैटरी (लॉन्ग रेंज) (NGMMCB-LR)और ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए 1,700 करोड़ के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
बता दें, नेक्स्ट जेनरेशन मैरीटाइम मोबाइल कोस्टल बैटरी की डिलीवरी 2027 से शुरू होने वाली है। यह सिस्टम सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होंगे और भारतीय नौसेना की बहु-दिशात्मक समुद्री हमले की क्षमता में काफी वृद्धि करेंगे।

मिसाइल क्षमता को बढ़ा रहा बीएपीएल

बीएपीएल भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जो नई पीढ़ी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह अनुबंध स्वदेशी उद्योगों की सक्रिय भागीदारी से महत्वपूर्ण हथियार प्रणाली और गोला-बारूद के स्वदेशी उत्पादन को और बढ़ावा देने वाला है। यह परियोजना चार वर्षों की अवधि में 90,000 से अधिक दिनों का रोजगार सृजित करेगी। इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय ने 11 अगली पीढ़ी के ऑफ शोर गश्ती जहाजों और छह अगली पीढ़ी के मिसाइल जहाजों के अधिग्रहण के लिए लगभग कुल 19,600 करोड़ रुपये लागत पर भारतीय शिपयार्ड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।

अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती जहाज

11 अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती जहाजों के अधिग्रहण के लिए अनुबंध पर गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता के साथ कुल 9,781 करोड़ रुपये की लागत से हस्ताक्षर किए गए। 11 जहाजों में से सात को जीएसएल द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाएगा और चार जीआरएसई द्वारा जहाजों की डिलीवरी सितंबर 2026 से शुरू होने वाली है।

नौसना की बढ़ेगी लड़ाकू क्षमता

इन जहाजों के अधिग्रहण से भारतीय नौसेना को अपनी लड़ाकू क्षमता बनाए रखने और विभिन्न परिचालन आवश्यकताओं जैसे एंटी-पायरेसी, काउंटर-इनफिल्ट्रेशन, एंटी-पोचिंग, एंटी-ट्रैफिकिंग, नॉन-कॉम्बैटेंट इवैक्यूएशन ऑपरेशंस, सर्च एंड रेस्क्यू (एसएआर) को पूरा करने में मदद मिलेगी। इन जहाजों के निर्माण से साढ़े सात साल की अवधि में 110 लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजित होगा।
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शिवानी शर्मा author

19 सालों के पत्रकारिता के अपने अनुभव में मैंने राजनीति, सामाजिक सरोकार और रक्षा से जुड़े पहलुओं पर काम किया है। सीमाओं पर देश के वीरों का शौर्य, आत्मन...और देखें

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