LAC झड़पः चीन का नाम तक न लेता है कमजोर नेतृत्व, होगी सर्जिकल स्ट्राइक?- ओवैसी ने पूछा, कांग्रेस बोली- PM मोदी छवि बचाने को...
LAC पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई ताजा झड़प को लेकर मंगलवार (13 दिसंबर, 2022) को संसद में हंगामे के आसार भी हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि कांग्रेस के कई नेता संसद के दोनों सदनों में इस पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव लाने वाले हैं। साथ ही एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी संसद में स्थगन प्रस्ताव पेश करेंगे।
भारत और चीन के जवानों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के पास नौ दिसंबर, 2022 को हुई झड़प के मसले पर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है। हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि झड़प के रोज संसद सत्र के बीच सरकार ने उसी दिन वहां क्यों नहीं बताया? मुझे सेना पर भरोसा है, पर केंद्र का कमजोर नेतृत्व है कि वे लोग चीन का नाम तक नहीं लेते। ऐसा क्यों हुआ? हमारे फौजियों की हालत कैसी है और क्या सरकार सर्जिकल स्ट्राइक करेगी?...यह सब सरकार को बताना चाहिए। यह देश की जमीन का मामला है। न कि राजनीतिक मुद्दा।
उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट्स में आरोप लगाया कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘कमजोर राजनीतिक नेतृत्व’ ही चीन के खिलाफ इस अपमान का कारण बना है। उन्होंने लिखा- अरुणाचल से आ रही खबरें परेशान करने वाली और चिंताजनक हैं। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक बड़ी झड़प हुई और सरकार ने देश को कई दिनों तक अंधेरे में रखा। जब संसद का सत्र चल रहा था तो उसे सूचित क्यों नहीं किया गया।
उन्होंने आगे बताया, ‘‘सेना किसी भी वक्त चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। मोदी के नेतृत्व में कमजोर राजनीतिक नेतृत्व ही चीन के खिलाफ इस अपमान का कारण बना है। इस पर संसद में तत्काल चर्चा की जरूरत है। मैं 13 दिसंबर, 2022 को इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश करूंगा।’’ ओवैसी ने कहा कि घटना के डिटेल्स अधूरे हैं और आगे ट्वीट में पूछा, ‘‘झड़प का कारण क्या था? क्या गोलियां चलाई गई थीं या यह गलवान की तरह हुआ? कितने सैनिक घायल हुए हैं? उनकी स्थिति क्या है? चीन को एक कड़ा संदेश भेजने के लिए संसद सैनिकों को अपना सार्वजनिक समर्थन क्यों नहीं दे सकती है?’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘हमें भारतीय सेना के शौर्य पर गर्व है। सीमा पर चीन की हरकतें पूरी तरह से नाकुबूल हैं। दो साल से हम बार-बार सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, पर मोदी सरकार केवल अपनी सियासी छवि बचाने के लिए इस मामले को दबाने में लगी है। इससे चीन का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है।’’ आरोप लगाते हुए वह आगे बोले, देश से बड़ा कोई नहीं है, लेकिन नरेंद्र मोदी अपनी इमेज को बचाने के लिए देश को ख़तरे में डाल रहे हैं। उत्तरी लद्दाख़ में घुसपैठ स्थायी करने की कोशिश में चीन ने डेपसांग में एलएसी की सीमा में 15-18 किलोमीटर अंदर 200 स्थायी शेल्टर बना दिए, पर सरकार चुप रही। अब यह नया चिंताजनक मामला सामने आया है।
पार्टी के सीनियर नेता शशि थरूर बोले, ‘‘मैंने पहले भी कहा है कि चीन की नजरें तवांग पर है, क्योंकि वे 6वें दलाई लामा के जन्मस्थल से भविष्य में दलाई लामा चुने जाने वाले व्यक्ति का नाता जोड़ना चाहते हैं। पीएलए के खिलाफ मुकाबला करने वाले सैनिकों पर गर्व है।’’ इस बीच, प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट के जरिए कहा, ‘‘हमारे 20 बहादुर सैनिकों की शहादत के बाद भी चीन को दो टूक जवाब देने की बजाय...पीएम ने "कोई नहीं घुस आया..." का बयान देकर देश की सुरक्षा और संप्रभुता से ज्यादा, अपनी "आभासी छवि" बनाए रखने में सारा ध्यान न लगाया होता, तो चीन बार बार यह दुस्साहस कभी नहीं करता!’’
उधर, अरुणाचल से भाजपा सांसद तापिर गाओ ने कहा कि यह झड़प दोनों मुल्कों के द्विपक्षीय संबंधों पर असर डालेगी। तापिर गाओ ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘नौ दिसंबर की घटना के बारे में सुनकर मुझे दुख हुआ। मैं इसकी निंदा करता हूं। अगर भविष्य में पीएलए (चीन की सेना, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) ऐसे काम करती रही तो इससे भारत-चीन संबंधों को नुकसान होगा।’’
दरअसल, इस हालिया झड़प में ‘‘दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए थे।’’ भारतीय थलसेना ने बताया, ‘‘नौ दिसंबर की झड़प में हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का दृढ़ता से सामना किया। इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं। दोनों पक्ष तत्काल क्षेत्र से पीछे हट गए। इसके बाद हमारे कमांडर ने स्थापित तंत्रों के अनुरूप शांति बहाल करने के लिए चीनी समकक्ष के साथ ‘फ्लैग बैठक’ की थी।’’ हालांकि, सेना के बयान में झड़प में शामिल सैनिकों और घटना में घायल हुए सैनिकों की संख्या का उल्लेख नहीं किया गया।
तवांग सेक्टर में एलएसी पर क्षेत्रों को लेकर दोनों पक्षों की ‘‘अलग-अलग धारणा’’ है। वैसे, समाचार एजेंसी पीटीआई को एक सूत्र ने संकेत दिया कि इसमें 200 से अधिक चीनी सैनिक शामिल थे। वे डंडे और लाठियां लिए थे और चीनी पक्ष की ओर घायलों की संख्या अधिक हो सकती हैं। लेकिन इस पर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं है। सेना ने कहा, ‘‘अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी से सटे अपने दावे वाले कुछ क्षेत्रों में दोनों पक्ष गश्त करते हैं। यह सिलसिला 2006 से जारी है।’’ पूर्वी लद्दाख में रिनचेन ला के पास अगस्त 2020 के बाद से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच यह पहली बड़ी झड़प है।
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