मुगलों का इतिहास ही भारत का इतिहास नहीं, अमित शाह बोले- अंग्रेजी सोच में बदलाव की जरूरत

गृह मंत्री अमित शाह ने रेवोल्यूशनरीज़, द अदर स्टोरी ऑफ़ हाउ इंडिया विन्ड इट्स फ़्रीडम" के विमोचन के अवसर पर इतिहास लेखन के बारे में कहा कि अलग अलग वजहों से अंग्रजों के नजरिए से इतिहास लेखन का काम हुआ है इसे बदलने की आवश्यकता है।

भारत में इतिहास लेखन को लेकर तरह तरह के विवाद हैं। मसलन बीजेपी का कहना है कि निहित स्वार्थ को पूरा करने के लिए भारत के गौरवशाली इतिहास को जगह नहीं मिली। इस विषय पर पीएन नरेंद्र मोदी अपनी राय रख चुके हैं। अब गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अंग्रेज भारत छोड़ गए और अब जरूरत है भारत के इतिहास को भारत के नजरिए से लिखा जाए। उन्होंने कहा कि पीएम जब यह कहते हैं कि औपनिवेशिक निशान नहीं रहना चाहिए तो इसका अर्थ है इतिहास को भी उनकी पकड़ से आजा किया जाए। वीर सावरकर ने इस दिशा में 1857 में कोशिश की थी।

सिर्फ एक पक्ष पढ़ाया गया

दिल्ली में एक किताब के विमोचन में अमित शाह ने कहा कि भारत की आजादी में अहिंसक आंदोलन की बड़ी भूमिका है। लेकिन यह कहना और मानना कि दूसरे लोगों की भूमिका नहीं थी गलत होगा। अगर अहिंसक आंदोलन के समानांतर क्रांतिकारी आंदोलन नहीं चलाए गए होते तो आजादी मिलने में कुछ और दशक लग जाते। हमें यह समझना होगा कि देश को आजादी दान में नहीं मिली, बल्कि यह लाखों लोगों के बलिदान से हासिल हुई थी। जब वो कर्तव्य पथ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा देखते हैं को उन्हें बेहद खुशी होती है।
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