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रक्षा सौदों के लिए भारतीय हित का सधना जरूरी, अमेरिका में बोले एस जयशंकर

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि रक्षा सौदों के लिए भारतीय हितों का सधना हमारे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है।

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डॉ एस जयशंकर, विदेश मंत्री

भारत में रक्षा सौदों(Defence Deal) को लेकर राजनीतिक आरोप और प्रत्यारोप की बात नई नहीं है। आम तौर पर यह देखा गया है कि बाहरी मुल्कों से जितने भी रक्षा सौदे हुए उन पर विवादों का साया पड़ा। फ्रांस से राफेल लड़ाकू(Rafale fighter plane) विमानों की खरीदी उनमें से एक है, हालांकि उस सौदे को क्लीन चिट मिल चुकी है। इन सबके बीच विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर(Dr S Jaishankar) ने कहा कि जब भारत रक्षा सौदों के लिए आगे बढ़ता है तो उसकी नजर में कुछ खास बिंदु होते हैं जिसका अनिवार्य रूप से होना जरूरी है। मसलन रक्षा सौदों के लिए प्रौद्योगिकी, क्षमता, शर्तें / मूल्य निर्धारण, मल्टी सोर्सिंग, और राष्ट्रीय हितों की सेवा के लिए सर्वोत्तम संभव सौदा प्राप्त करना शामिल होता है।

भारत का हित सर्वोपरिसुरक्षा पर कैबिनेट समिति के सदस्य जयशंकर ने इस अवसर का उपयोग भारत की सैन्य खरीद के पीछे व्यापक वैचारिक आधार को तैयार करने के लिए किया। मंत्री ने जिन प्रमुख सिद्धांतों को रेखांकित किया उनमें प्रौद्योगिकी, क्षमता, शर्तें / मूल्य निर्धारण, बहु-सोर्सिंग और राष्ट्रीय हितों की सेवा के लिए सर्वोत्तम सौदे प्राप्त करना शामिल था।सबसे पहले, उन्होंने कहा कि भारत को उपकरणों की सर्विसिंग और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति" के मामले में किसी विशेष समस्या का सामना नहीं करना पड़ा, जो भारत को रूस से अतीत में मिला था। उन्होंने तब कहा था कि जहां भारत को अपने सैन्य उपकरण और प्लेटफॉर्म मिले, वह न तो कोई नया मुद्दा था और न ही भू-राजनीतिक तनाव के कारण यह विशेष रूप से बदला था।मुझे लगता है कि हम दुनिया भर में संभावनाओं को देखते हैं। हम प्रौद्योगिकी की गुणवत्ता, क्षमता की गुणवत्ता, उन शर्तों को देखते हैं जिन पर उस विशेष उपकरण की पेशकश की जाती है, और हम एक विकल्प का प्रयोग करते हैं जो हमें लगता है कि हमारे राष्ट्रीय हित में है।

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