भारतीयों पर सबसे ज्यादा पड़ी Covid-19 की मार, फेफड़ों को पहुंचा बड़ा नुकसान, स्टडी में हुआ खुलासा

इसे फेफड़ों की कार्यप्रणाली पर SARS-CoV-2 के प्रभाव की जांच का सबसे बड़ा अध्ययन बताया जा रहा है, जिसमें 207 लोगों की जांच की गई। इसमें कई तथ्य सामने आए हैं।

भारतीयों पर कोविड-19 का असर

Covid 19: कोविड-19 से उबरने वाले भारतीयों में फेफड़ों की काम करने की क्षमता बहुत प्रभावित हुई है और महीनों तक ऐसे लक्षण बने रहे। क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन से यह बात सामने आई है। स्टडी में पाया गया कि यूरोपीय और चीनियों की तुलना में भारतीयों के फेफड़ों की कार्यक्षमता अधिक खराब हुई। इसमें कहा गया है कि जहां कुछ लोगों में धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापसी में एक साल तक का समय लग सकता है, वहीं अन्य को जीवन भर फेफड़ों के नुकसान के साथ जीना पड़ सकता है।

207 लोगों की जांच हुई

इसे फेफड़ों की कार्यप्रणाली पर SARS-CoV-2 के प्रभाव की जांच का सबसे बड़ा अध्ययन बताया जा रहा है, जिसमें 207 लोगों की जांच की गई। महामारी की पहली लहर के दौरान किया गया यह अध्ययन हाल ही में पीएलओएस ग्लोबल पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ था। ठीक होने के दो महीने से अधिक समय के बाद हल्के, मध्यम और गंभीर कोविड से पीड़ित इन रोगियों में पूरे फेफड़ों का परीक्षण, छह मिनट की वॉक टेस्ट, रक्त परीक्षण और जीवन की गुणवत्ता का आकलन किया गया।

सबसे अधिक डीएलसीओ पर असर

सबसे संवेदनशील फेफड़े का कार्य परीक्षण यानी गैस ट्रांसफर (DLCO), जो सांस ली गई हवा से ऑक्सीजन को रक्तप्रवाह में बदलने की क्षमता को मापता है, 44% प्रभावित हुआ। इसे सीएमसी डॉक्टरों ने बहुत चिंताजनक बताया। 35% में प्रतिबंधात्मक फेफड़े का दोष था, जो सांस लेते समय हवा के साथ फेफड़ों के फूलने की क्षमता को प्रभावित करता है और 8.3% में अवरोधक फेफड़े का दोष था, जो फेफड़ों में हवा के अंदर और बाहर जाने की आसानी को प्रभावित करता है। जीवन की गुणवत्ता परीक्षणों ने भी प्रतिकूल असर दिखाया।

End Of Feed