Mahakumbh 2025: क्या आपने सुने हैं महाकुंभ को समर्पित दोनों गीत? जिसे केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया लॉन्च
Maha Kumbh 2025: सूचना एवं प्रसारण मंत्री वैष्णव ने महाकुंभ को समर्पित दो गीतों को लॉन्च किया। इनमें से एक गीत के बोल है- ‘महाकुंभ है’ जिसे मशहूर गायक कैलाश खेर ने गाया है। जबकि दूसरा गाना ‘जय महाकुंभ’ लॉन्च किया। आपने अगर अब तक ये दोनों गीत नहीं सुने तो अभी सुन लीजिए।
महाकुंभ के लिए दो गीत लॉन्च।
Maha Kumbh Songs: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने महाकुंभ 2025 को समर्पित आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा निर्मित विशेष गीत बुधवार को लॉन्च किये। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि कैलाश खेर द्वारा गाए गए गीत ‘महाकुंभ है’ को दूरदर्शन द्वारा तैयार किया गया। प्रसिद्ध लेखक आलोक श्रीवास्तव द्वारा लिखे गए इस गीत के बोल संगीतकार क्षितिज तारे ने तैयार किए हैं। इस गीत में आस्था, परंपरा और उत्सव के संगम को खूबसूरती से पिरोया गया है जो महाकुंभ को परिभाषित करता है।
कैलाश खेर ने गाए ये गीत ‘महाकुंभ है’
आकाशवाणी की एक विशेष रचना ‘जय महाकुंभ’
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रयागराज में 12 साल में एक बार होने वाले उत्सव को समर्पित आकाशवाणी की एक विशेष रचना ‘जय महाकुंभ’ का भी शुभारंभ किया। रतन प्रसन्ना की आवाज और संतोष नाहर तथा रतन प्रसन्ना के संगीत ने इस गीत को जीवंत कर दिया है।
महाकुंभ में स्नान के लिए 12 किलोमीटर का घाट तैयार
महाकुंभ मेले में स्नान के लिए 12 किलोमीटर के क्षेत्र में घाटों का निर्माण किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयागराज दौरे से पहले सभी घाटों पर रोशनी की व्यवस्था की गई और सीढ़ियां तैयार की जा रहीं हैं तथा वस्त्र बदलने के लिए कक्ष बनाए गए हैं। उप्र मेला अधिकारी अभिनव पाठक ने बताया कि 12 किलोमीटर के क्षेत्र में सफाई व्यवस्था और घाटों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि संगम क्षेत्र के प्रमुख घाटों को नए सिरे से विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना के किनारे सात पक्के घाट बनाए गए हैं। इनमें दारागंज में गंगा नदी के किनारे बने 110 मीटर लंबे और 95 मीटर चौड़े दशाश्वमेध घाट पर ‘सीटिंग प्लाजा’ (बैठने की व्यवस्था), ‘चेंजिंग केबिन’ (वस्त्र बदलने के लिए कक्ष), पार्किंग, यज्ञशाला, आरती स्थल और ध्यान केंद्र जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
पाठक ने बताया कि इसी तरह, यमुना नदी के तट पर बने किला घाट को स्नानार्थियों की भारी भीड़ को संभालने के लिए तैयार किया जा रहा है। वहीं, यमुना नदी पर स्थित सरस्वती घाट स्नान और अन्य गतिविधियों के लिए उपयोगी होगा। उन्होंने बताया कि गंगा नदी के तट पर काली घाट, छतनाग घाट और यमुना नदी के तट पर मोरी घाट और महेवा घाट का निर्माण किया गया है। हर घाट पर अलग-अलग प्रतीक चिह्न (डमरु, त्रिशूल आदि) लगाए जा रहे हैं, ताकि लोगों को घाटों की पहचान में आसानी हो। उन्होंने बताया कि संगम पर निगरानी के लिए ‘वॉच टावर’ लगाए जा रहे हैं। सभी घाटों पर पानी में अवरोधकों की व्यवस्था की जा रही है। पाठक ने बताया कि सभी नावों की जांच की जा रही है और उनकी क्षमता एवं लाइसेंस नंबर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किए जाएंगे।
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