भारत में फिर टाइगर की दहाड़, संख्या बढ़कर हो गई 3167, मध्य प्रदेश नंबर 1
International Tiger Day: देश में बाघों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। अप्रैल में भारत सरकार ने घोषणा की कि बाघों की आबादी बढ़कर 3,167 हो गई है। अनुमानित संख्या 3600 से अधिक बताई जा रही है।
भारत में बढ़ी बाघों की आबादी
International Tiger Day: सरकारी डेटा के अनुसार भारत में जंगली बाघों की आबादी अब 3600 से अधिक होने का अनुमान है। जो लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण प्रयासों की पुष्टि करता है। बाघ एक समय पूरे मध्य, पूर्वी और दक्षिणी एशिया में घूमते थे। लेकिन पिछली शताब्दी में इसकी संख्या में करीब 95 प्रतिशत की कमी आ गई थी। भारत वर्तमान में दुनिया के 75 प्रतिशत बाघों का घर है। कैमरा-आधारित सर्वे के बाद अप्रैल में भारत सरकार ने घोषणा की कि बाघों की आबादी बढ़कर 3,167 हो गई है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बताया कि भारत में वर्तमान में दुनिया की करीब 75% वाइल्ड बाघ की आबादी रहती है। बाघों की सबसे बड़ी आबादी 785 मध्य प्रदेश में है। इसके बाद कर्नाटक (563) और उत्तराखंड (560), और महाराष्ट्र (444) हैं। टाइगर रिजर्व के भीतर बाघों की बहुतायत कॉर्बेट (260) में सबसे अधिक है। इसके बाद बांदीपुर (150), नागरहोल (141), बांधवगढ़ (135), दुधवा (135), मुदुमलाई (114), कान्हा (105), काजीरंगा (104) सुंदरबन (100), ताडोबा (97), सत्यमंगलम (85), और पेंच-एमपी (77) हैं।
सरकार ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा उसी सर्वे डेटा के आगे के विश्लेषण से पता चला कि देश भर में बाघों की औसत संख्या 3,682 है। यह संख्या प्रति वर्ष 6.1% सालाना वृद्धि दर दर्शाती है। आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत के बाघों और उनके पारिस्थितिकी तंत्र के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बाघों के आवास और गलियारों की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास महत्वपूर्ण हैं।
ऐसा माना जाता है कि 1947 में ब्रिटेन से आजादी के समय भारत में बाघों की आबादी करीब 40,000 थी। बाद के दशकों में यह घटकर 2002 में करीब 3,700 हो गई, फिर चार साल बाद 1,411 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गई। उसके बाद लगातार वृद्धि हुई।
वनों की कटाई, अवैध शिकार और आवासों पर मानव अतिक्रमण ने पूरे एशिया में बाघों की आबादी को नष्ट कर दिया है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल में कहा कि भारत लोगों की भागीदारी और देश की संरक्षण की संस्कृति की बदौलत अपनी संख्या बढ़ाने में सक्षम हुआ है।
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