Manipur Violence: मणिपुर में स्थिति गंभीर, हिंसा के बीच इंटरनेट पर 15 सितंबर तक लगा बैन
Manipur Violence: मणिपुर में पिछले 16 महीनों से हिंसा जारी है। हिंसा में रॉकेट से लेकर ड्रोन तक के इस्तेमाल हो रहा है। जिसके बाद आज सरकार ने इंटरनेट पर बैन लगाने का फैसला किया है।

मणिपुर में इंटरनेट बंद
- दो जातियों की हिंसा में जल रहा मणिपुर
- जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं
- हिंसा के लिए ड्रोन का किया जा रहा है इस्तेमाल
Manipur Violence: मणिपुर में स्थिति बिगड़ती दिख रही है। दो समुदायों के बीच लगी आग से ऐसी हिंसा भड़की है कि मणिपुर बर्बाद होने के कगार पर पहुंच चुका है। राज्य में उग्रवादी ड्रोन और रॉकेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। बिगड़ती स्थिति के बीच अब सरकार ने मणिपुर में 15 सितंबर तक इंटरनेट बंद करने का फैसला किया है।
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सरकार ने इंटरनेट पर क्यों लगाया बैन
मणिपुर सरकार ने इंटरनेट पर बैन लगाने का इसलिए फैसला किया, क्योंकि हिंसा के दौरान कुछ असामाजिक तत्व "सोशल मीडिया का इस्तेमाल तस्वीरें, नफरत फैलाने वाले भाषण प्रसारित करने के लिए कर सकते हैं" जिससे राज्य में हिंसा भड़क सकती है। सरकार ने एक बयान में कहा- "मणिपुर राज्य के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में 10 सितंबर की दोपहर 3 बजे से 15 सितंबर की दोपहर 3 बजे तक पांच दिनों के लिए लीज लाइन, वीसैट, ब्रॉडबैंड और वीपीएन सेवाओं सहित इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित/रोकने का आदेश दिया गया है।"
दो समुदायों की हिंसा में जल रहा मणिपुर
मणिपुर में एक साल से भी अधिक समय से मुख्य रूप से हिंदू मैतेई बहुसंख्यक और मुख्य रूप से ईसाई कुकी समुदाय के बीच समय-समय पर झड़पें होती रही हैं, जिससे राज्य जातीय समूहों में बंट गया है। पिछले हफ़्ते कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई है। मंगलवार को राज्य की राजधानी इंफाल और आसपास की घाटी में कर्फ्यू लगा दिया गया था, क्योंकि सोमवार को छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद पुलिस के साथ झड़पें हुईं। प्रदर्शनकारी पिछले हफ़्ते रॉकेट और ड्रोन हमलों का इस्तेमाल करने के आरोपी विद्रोहियों के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
16 महीने से चल रही है झड़पें
पिछले 16 महीनों में लगातार झड़पों, ड्रोन हमलों और हमलों ने मणिपुर को अस्थिर कर दिया है। पिछले वर्ष मई से इम्फाल घाटी स्थित मैतेईस और समीपवर्ती पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
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