क्या शी जिनपिंग से डर गए हैं पीएम मोदी, असदुद्दीन ओवैसी ने कसा तंज
चीन के झिंजिंयाग में मानवधिकार उल्लंघन के मामले को भारत जोरशोर से उठाता रहा है। लेकिन यूएनएचआरसी में वोटिंग के दौरान खुद को अलग रखा।
एआईएमआईएम के मुखिया हैं असदुद्दीन ओवैसी
झिंजिंयाग में चीनी सरकार के मानवाधिकार उल्लंघन मामले में यूएनएचआरसी में वोटिंग होनी थी। लेकिन भारत ने खुद को वोटिंग प्रक्रिया से दूर रखा। इस विषय पर भारत में सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि बीजेपी सरकार संसद में चीन के मुद्दे पर चर्चा करने से दूर भागती है तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपने को अलग कर लेती है। इस विषय पर अब एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि क्या वे शी जिनपिंग से डरे हुए हैं।
ओवैसी ने कसा तंज
क्या पीएम मोदी साहब एक महत्वपूर्ण वोट से दूर रहने का विकल्प चुनकर उइघुर मुद्दे पर यूएनएचआरसी में चीन की मदद करने के भारत के फैसले का कारण बताएंगे? क्या वह शी जिंगपिंग को नाराज करने से इतना डरते हैं, जिनसे वह 18 बार मिले थे, कि भारत सही के लिए नहीं बोल सकते?
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने भी विकास को लेकर मोदी पर हमला बोला। “भारत ने चीन में उइगरों के मानवाधिकारों के उल्लंघन पर बहस के लिए UNHRC में मसौदा प्रस्ताव पर रोक लगा दी है। हमारी जमीन की चोरी के लिए चीन को जवाबदेह ठहराने की बात तो दूर, पीएम मोदी खुद को मानव अधिकारों के उल्लंघन पर चीन की निंदा करने के लिए भी नहीं ला सकते हैं। नरेंद्र मोदी को चीन से इतना डर क्यों है!
इन देशों ने चीन के खिलाफ किया मतदान
इस प्रस्ताव को फ्रांस, जर्मनी, जापान और नीदरलैंड ने समर्थन दिया था।इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि कि भारत ने परंपरागत रूप से यूएनएचआरसी में ऐसे देश-विशिष्ट प्रस्तावों से दूर रहने के खिलाफ मतदान किया है। यह समझा जाता है कि यूएनएचआरसी के भीतर चीन की उपस्थिति निर्णय में एक कारक थी, क्योंकि भारत द्वारा झिंजियांग मुद्दे के लिए किसी भी समर्थन से चीन द्वारा अन्य मुद्दों पर इसी तरह के कदम उठाए जा सकते थे।झिंजियांग की स्थिति पर मसौदा प्रस्ताव कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, यूके और यूएस के एक समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया था और तुर्की जैसे अन्य देशों द्वारा सहप्रायोजित किया गया था।
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ललित राय author
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