Sawal Public Ka: क्या हिंदू राष्ट्र की बात करना संविधान की भावना के खिलाफ है?
Sawal Public Ka : एक ओर कई हिंदू साधु संतों समेत कुछ लोगों की मांग है कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए। इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कहने लगे हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र था और रहेगा। पब्लिक का सवाल है कि क्या हिंदू राष्ट्र की बात करना संविधान की भावना के खिलाफ है ?
Sawal Public Ka : देश के संविधान की मूल प्रति पर राम दरबार की तस्वीर है। संविधान पर भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण की तस्वीर लगाने वाले हमारे वही संविधान निर्माता हैं। जिन्होंने संविधान के जरिये ये तय किया कि राष्ट्र किसी एक धर्म के प्रति झुकाव नहीं रखेगा। लेकिन श्रीराम संविधान पर दर्ज हुए क्योंकि वो भारत राष्ट्र की संस्कृति के नायक हैं। हम आज इसलिए ये सब याद दिला रहे हैं क्योंकि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का मुद्दा जोर पकड़ता जा रहा है। एक ओर कई हिंदू साधु संतों समेत कुछ लोगों की मांग है कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए। इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कहने लगे हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र था और रहेगा। उनका मतलब भारत की सांस्कृतिक पहचान से है। लेकिन सनातन के इस जोर पर सियासत का शोर उठ रहा है।
तो उधर अभी भी हिंदू त्योहारों को लेकर आर-पार की नौबत आ रही है। अभी कल ही झारखंड के पलामू में शिवरात्रि को लेकर तोरण द्वार बनाने पर सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ है। भगवान शिव की नगरी देवघर में आज धारा 144 लगी हुई है। पब्लिक का सवाल है कि क्या हिंदू राष्ट्र की बात करना संविधान की भावना के खिलाफ है ? एक ओर हिंदू राष्ट्र का सपना है तो दूसरी ओर क्या हिंदू त्योहारों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है? यही है आज सवाल पब्लिक का।
बीते कुछ समय में देश में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जो बीते 75 वर्षों में नहीं हुआ। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र समिति ने जनवरी 2024 में निर्माण पूरा होने की उम्मीद जता दी है। अयोध्या में राममंदिर बनना सुप्रीम कोर्ट के आदेश से संभव हुआ। लेकिन राम मंदिर बनने का मतलब मौजूदा राजनीति के लिए क्या है, ये किसी को बताने की जरूरत नहीं। वाराणसी में काशी कॉरिडोर और उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। RSS की तो शुरू से लाइन रही है कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है, भले ही उसका धर्म कुछ भी हो। लेकिन इस बीच जब से योगी आदित्यनाथ जैसे संवैधानिक पोस्ट पर बैठे नेताओं ने हिंदू राष्ट्र की बात की है, हिंदू राष्ट्र की बहस राजनीतिक हो गई है।
हमने संविधान के मूल प्रति की बात की, जिस पर राम दरबार है। लेकिन 1952 में संविधान की प्रस्तावना में सेकुलर शब्द नहीं था। साल 1976 में इमरजेंसी के दौरान संविधान की प्रस्तावना में बदलाव किया गया और 42वें संविधान संशोधन से संविधान में 'सेकुलर' शब्द को शामिल किया गया। सवाल है कि क्या भारत 1976 से पहले सेकुलर नहीं था? यहां मैं सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को भी याद दिलाना चाहती हूं जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में कहा था कि हिंदुत्व Way of Life यानी जीवन जीने का तरीका है।
2016 में रिव्यू पिटीशन पर फैसला देते हुए भी सुप्रीम कोर्ट ने 1995 का फैसला बरकरार रखा था। इस सब के बीच जब भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग और मुहिम चल निकली है तो योगी आदित्यनाथ की बात अहम हो जाती है। टाइम्स नाउ नवभारत के इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा था? वैसे जब एक ओर हिंदू राष्ट्र की बात हो रही है तो दूसरी ओर हिंदू राष्ट्र का डर दिखाकर भी सियासत लंबे समय से जारी है। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी पलामू जैसी हर एक घटना को RSS-BJP की साजिश बताते हैं। तो उधर हिंदू राष्ट्र को लेकर उठ रही मांग को संविधान के खिलाफ बता रहे हैं।
सवाल पब्लिक का
1. 2024 चुनाव से पहले हिंदू राष्ट्र की मुहिम क्या सिर्फ सियासी एजेंडा है ?
2. क्या हिंदू त्योहारों पर हो रहे सांप्रदायिक तनाव को लेकर पाकिस्तान की बात बाँटने की राजनीति है?
3. हिंदू राष्ट्र पर योगी आदित्यनाथ के बयान पर विरोध करने का आधार क्या है ?
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