'ईशा ग्रामोत्सवम' से बढ़ा ग्रामीण भारत में खेल का रोमांच, कोयंबटूर में होगा भव्य फाइनल
isha gramotsavam in coimbatore: ग्रामीण भारत के सबसे बड़े खेल आयोजन ईशा ग्रामोत्सवम का भव्य फाइनल 23 सितंबर को कोयंबटूर में 112 फीट के आदियोगी के सामने होगा।
ग्रामीण भारत का सबसे बड़े खेल आयोजन ईशा ग्रामोत्सवम
सद्गुरु की ओर से शुरू की गई सामाजिक पहल ईशा ग्रामोत्सवम 2023 का बहुप्रतीक्षित फाइनल 23 सितंबर को प्रतिष्ठित 112 फीट आदियोगी प्रतिमा, ईशा योग केंद्र, कोयंबटूर के सामने खेला जाएगा। सभी दक्षिण भारतीय राज्यों के हजारों ग्रामीण खिलाड़ियों को मंच देने वाले इस विशाल खेल आयोजन का उद्देश्य गांव के लोगों के जीवन में खेल और जीवंतता की भावना जगाना है। भारत के केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु, भारत की ग्रामीण खेल शक्ति के प्रदर्शन को देखने के लिए इस महत्वपूर्ण अवसर पर उपस्थित रहेंगें।
ईशा ग्रामोत्सवम के 15वें संस्करण में पांच दक्षिण भारतीय राज्यों - तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी के 60,000 से ज्यादा खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है, जिसमें 194 ग्रामीण जगहों पर क्लस्टर और मंडल स्तर के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। एक व्यापक क्रांति को दर्शाते हुए ईशा ग्रामोत्सवम में 10,000 से ज्यादा ग्रामीण महिलाएं कबड्डी और थ्रोबॉल जैसे आयोजनों का हिस्सा बन रही हैं, जिनमें से ज्यादातर ग्रहणियां हैं।
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ईशा ग्रामोत्सव के पीछे उत्सव की भावना के बारे में बात करते हुए सद्गुरु ने कहा, 'ईशा ग्रामोत्सव खेल के माध्यम से जीवंत हो उठने का अवसर है। एक खेल सभी सामाजिक विभाजनों से परे जाकर लोगों को एकजुट कर सकता है। यह खेल की ही ताकत है कि यह उत्सव की चंचलता के साथ जाति, धर्म और अन्य पहचान की सीमाओं को मिटा देता है।'
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उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'यह आयोजन प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी बनने के बारे में नहीं है, बल्कि जीवन भर खेल भावना से भरे रहने के बारे में हैं। अगर आप पूरी भागीदारी के साथ खेल में शामिल होते हैं तो एक गेंद दुनिया को बदल सकती है। आप यहां खेलने का आनंद जान सकते हैं।'
2004 से आयोजित हो रहे ग्रामोत्सवम में इस साल पुरुषों के लिए वॉलीबॉल, महिलाओं के लिए थ्रोबॉल और तमिलनाडु के ग्रामीण खेलों के साथ-साथ पुरुषों और महिलाओं के लिए कबड्डी भी शामिल है। वॉलीबॉल और थ्रोबॉल में विजेताओं को क्रमशः 5 लाख रुपये और 2 लाख रुपये मिलेंगे, जबकि कबड्डी जीतने वाली पुरुष और महिला टीमों को क्रमशः 5 लाख रुपये और 2 लाख रुपये का पुरस्कार मिलेगा। प्रतिस्पर्धी खिलाड़ियों को 55 लाख की पुरस्कार राशि जीतने का भी मौका मिलता है।
ईशा ग्रामोत्सवम की आयोजन टीम से जुड़े ईशा योग केंद्र के स्वामी नकुजा ने कहा, 'ईशा ग्रामोत्सवम का अनोखा पहलू यह है कि टीम के सभी खिलाड़ी एक ही गांव से हैं। यह पेशेवर खिलाड़ियों के लिए टूर्नामेंट नहीं है बल्कि एक ऐसा मंच है जो सभी को खेलने के लिए प्रोत्साहित करता है। हर किसी को किसी न किसी प्रकार के खेल के लिए प्रोत्साहित करने से लेकर, ग्रामीण खेलों का आनंद फिर से जगाने और लुप्त हो रहे पारंपरिक कला रूपों को पुनर्जीवित करने तक, पूरी पहल सावधानीपूर्वक तैयार की गई है ताकि पूरा गांव एक उत्सव के रूप में एक साथ आए और ग्रामीण जीवन का उत्साह वापस लाए।'
सभी प्रतिभागियों और ग्रामीण लोगों के साथ एक संबंध बनाते हुए, इस वर्ष के ग्रामोत्सवम थीम सॉंग को प्रमुख तेलुगू गायक राम मिर्याला ने गाया है। 'रा आड़ू आटाड़ू' (आओ खेलें, खेलें एक खेल!)
ईशा ग्रामोत्सवम के पिछले संस्करण में 8,412 टीमों ने भाग लिया था, जिसमें 1,00,167 खिलाड़ी शामिल थे। ईशा ग्रामोत्सवम का आयोजन करने वाले ईशा आउटरीच को खेल और युवा मामलों के मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय खेल संवर्धन संगठन (एनएसपीओ) के रूप में मान्यता दी गई है। साल 2018 में ईशा आउटरीच को खेल विकास के लिए भारत के माननीय राष्ट्रपति से 'राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार' मिला।
सचिन तेंदुलकर, ओलंपिक पदक विजेता राजवर्धन सिंह राठौड़ और कर्णम मल्लेश्वरी जैसी खेल हस्तियां इससे पहले खेल महोत्सव के फाइनल में विशेष अतिथि के रूप में भाग ले चुके हैं। मिताली राज, पीवी सिंधु, वीरेंद्र सहवाग, शिखर धवन ने भी ईशा ग्रामोत्सवम के बारे में बोलते हुए इस आयोजन का समर्थन किया है।
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