ISRO ने रचा इतिहास, अंतरिक्ष में स्थापित की पहली सौर वेधशाला, सूरज के L1 प्वाइंट पर पहुंचा आदित्य एल-1
Aditya-L1 Mission Successful: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर बताया कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई है।
सूरज के पास पहुंचा आदित्य एल1
Aditya-L1 Mission Successful: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। इसरो का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 सफलता पूर्वक सूर्य के लैग्रेंज प्वाइंट (L1 Point) पर पहुंच गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसकी जानकारी दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर बताया कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई है। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।
बीते साल 2 सितंबर 2023 को इसरो ने आदित्य एल1 मिशन को लॉन्च किया था। इसके बाद इसरो की इस सैटेलाइट ने करीब पांच महीनों में 15 लाख किलोमीटर का सफर तया किया। इसरो अधिकारियों ने बताया कि आदित्य सैटेलाइट को एल1 प्वाइंट के हैलो ऑर्बिट में सफलतापूर्वक इंसर्ट कर दिया गया है।
क्या करेगा आदित्य एल1
आदित्य एल1 मिशन के सफल होने के बाद इसरो के पहली सौर वेधशाला अब धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूसरी पर स्थापित है। इसरो को इस मिशन में करीब 400 करोड़ का खर्च आया है। आदित्य एल1 सैटेलाइट अब हैलो ऑर्बिट में रहकर सूर्य का अध्ययन करेगी। यह सौर तूफानों और सूर्य की ऊपरी तरह की भी स्टडी करेगी। इसरो अधिकारियों का कहना है कि आदित्य सैटेलाइट को एल1 प्वाइंट पर डालना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था, क्योंकि इसमें गति और दिशा का सही तालमेल काफी जरूरी होता है। हमें पता होना चाहिए कि हमारी सैटेलाइट कहां है और कहां जाएगी।
आदित्य ए1 ने ऐसे तय किया सफर
आदित्य एल1 मिशन लॉन्च होने के बाद सैटेलाइट 16 दिनों तक धरती के चारों ओर चक्कर लगाता रहा। इसके बाद इसरो ने पांच बार आदित्य एल 1 की कक्षा में परिवर्तन किया और धीरे-धीरे इसे सूर्य की तरफ धकेला गया। आदित्य एल 1 जैसे ही लैग्रेंज प्वाइंट पर पहुंचा उसे सूर्य के हैलो ऑर्बिट में डाल दिया गया, जिससे यह सूर्य के चक्कर लगाता हुआ उसकी सतह पर नजर रख सके।
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