चंद्रयान-3 तो शुरुआत है...निसार, आदित्य और गगनयान, अंतरिक्ष में कितने गहरे होंगे तिरंगे के निशान
ISRO future missions: इसरो के वैज्ञानिकों के पास सांस लेने तक की फुर्सत नहीं है। चंद्रयान-3 तो बस एक शुरुआत भर है। इसरो का अगला प्लान सूरज, मंगल और शुक्र तक जाने का है। अंतरिक्ष एजेंसी गगनयान, आदित्य एल-1, निसार, मिशन मंगल, शुक्रयान, स्पेडेक्स जैसे मिशनों पर तेजी से काम कर रही है।
चांद पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग
ISRO future missions: इसरो का चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर चुका है। इसी के साथ इसरो का नाम दुनिया के इतिहास में दर्ज हो गया। चांद पर तिरंगा तो फहराया ही साथ ही दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराने वाला भारत पहला देश बन गया। 140 करोड़ हिंदुस्तानियों के लिए यह ऐतिहासिक क्षण है। आने वाले कुछ वर्षों में इसरो कई ऐसे मौके देने जा रहा है जब गर्व से आपका सीना चौड़ा हो जाएगा।
इसरो के आगामी मिशन का रुख करें तो वैज्ञानिकों के पास सांस लेने तक की फुर्सत नहीं है। चंद्रयान-3 तो बस एक शुरुआत भर है। इसरो का अगला प्लान सूरज, मंगल और शुक्र तक जाने का है। इसरो के वैज्ञानिक इन मिशनों पर तेजी से काम कर रहे हैं। इसरो की वेबसाइट के मुताबिक, अंतरिक्ष एजेंसी गगनयान, आदित्य एल-1, निसार, मिशन मंगल, शुक्रयान, स्पेडेक्स जैसे मिशनों पर तेजी से काम कर रहा है। आइए, जानते हैं इनके बारे में...
आदित्य एल-1
चांद के बार इसरो का अगला टारगेट सूरज तक पहुंचने का है। इसके लिए तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। चंद्रयान-3 के तुरंत बाद संभवत: सितंबर के पहले सप्ताह में आदित्य एल-1 लॉन्च किया जाएगा। यह स्पेसक्राफ्ट सूर्य-पृथ्वी के सिस्टम में लैगरेंज प्वाइंट-1 (एल1) के पास बने हैलो ऑर्बिट में रहेगा और सूर्य का लगातार अध्ययन करेगा। इस मिशन में सात पेलोड होंगे। इसमें चार पेलोड सूर्य की रिमोट सेंसिंग करेंगे और तीन उस पर होने वाली गतिविधियों की जांच करेंगें।
मिशन गगनयान
इसरो का यह महत्वाकांक्षी मिशन है। इस मिशन के जरिए इसरो पहली बार अंतरिक्ष में इंसान को भेजने जा रहा है। 2025 तक इस मिशन की लॉन्चिंग संभव है। सबसे बड़ी बात यह है कि अंतरिक्ष यात्री भारत में बनी तकनीक, कैप्सूल और रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष की सैर करेंगे।
निसार
यह भारत और अमेरिका का ज्वाइंट मिशन है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा एक साथ इस पर काम कर रहे हैं। इस अभियान के तहत पृथ्वी पर बदलते इकोसिस्टम का अध्ययन किया जाएगा। इस सैटेलाइट की मदद से दुनिया में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं का पहले से पता लगाया जा सकेगा। जानकारी के मुताबिक, निसार को धरती की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह हर 12 दिन में पूरी दुनिया का एक नक्शा बनाएगा इससे भूकंप की आशंका वाले इलाकों को पहचानने में मदद मिलेगी।
मंगलयान-2
भारत का दूसरा इंटर-प्लैनेटरी मिशन मंगलयान-2 भी आने वाले दिनों में प्रस्तावित है। इस मिशन के लिए लैंडर को रद्द किया गया है। इस बार हाइपरस्पेक्ट्रल कैमरा और राडार भी ऑर्बिटल प्रोब में लगा होगा।
शुक्रयान
मंगल पर पहुंचने के बाद इसरो की निगाहें शुक्र ग्रह तक पहुंचने पर लगी हैं। भारत के अलावा अमेरिका, चीन जैसे देश भी शुक्र ग्रह पर पहुंचने के लिए अलग-अलग मिशनों पर काम कर रहे हैं। यह मिशन 2024 तक पूरा होना था, हालांकि इसमें देरी हो रही है।
स्पेडेक्स
स्पेडेक्स यानी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट। इसरो अपना स्पेस डॉक बना रहा है, जिससे अगर भारत अंतरिक्ष में खुद का स्पेस स्टेशन बनाता है तो इस आवश्यकता का पूरा किया जा सके।
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