चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 के बाद अब क्या है ISRO का प्लान? जानें अंतरिक्ष में कैसे धमाल मचाने जा रहा भारत
ISRO next mission: इसरो के वैज्ञानिकों के पास सांस लेने तक की फुर्सत नहीं है। आने वाले समय में इसरो को प्लानिंग अंतरिक्ष क्षेत्र में धमाल मचाने की है। आदित्य एल-1 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो XPoSat(एक्सर रे पोलारिमीटर सैटेलाइट) भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन पर काम कर रहा है।
आदित्य एल1 का सफल प्रक्षेपण
ISRO next mission after Aditya L1: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) ने चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अपने पहले सूर्य मिशन आदित्य एल-1 का सफल प्रक्षेपण कर दिया है। यह 125 दिनों की यात्रा पूरी करके अपनी निर्धारित जगह यानी L1 प्वाइंट पर पहुंचेगा, जहां से यह सूर्य पर नजर रखेगा। इसरो का कहना है कि आदित्य एल-1 को लैग्रेजियन प्वाइंट पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
अब आप सोच रहे होंगे कि सूर्य मिशन की लॉन्चिंग के बाद इसरो अब क्या करेगा। सच पूछो तो इसरो के वैज्ञानिकों के पास सांस लेने तक की फुर्सत नहीं है। आने वाले समय में इसरो को प्लानिंग अंतरिक्ष क्षेत्र में धमाल मचाने की है। आदित्य एल-1 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो अब अपने अन्य प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। आदित्य एल-1 के बाद कतार में XPoSat(एक्सर रे पोलारिमीटर सैटेलाइट) भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है, जो कठिन परिस्थितियों मे भी चमकीले खगोलीय एक्सरे स्रोतों के विभिन्न आयामों का अध्ययन करेगा।
पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा अंतरिक्ष यान
XPoSat मिशन के लिए इसरो पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष यान को भेजेगा, जिसमें दो वैज्ञानिक अध्ययन उपकरण (पेलोड) लगे होंगे। इसरो ने बताया कि प्राथमिक उपकरण 'POLIX' (एक्सरे में पोलारिमीटर उपकरण) खगोलीय मूल के 8-30 केवी फोटॉन की मध्यम एक्स-रे ऊर्जा रेंज में पोलारिमेट्री मापदंडों (ध्रुवीकरण की डिग्री और कोण) को मापेगा। इसरो के अनुसार, 'XSPECT' (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग) पेलोड 0.8-15 केवी की ऊर्जा रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक (भौतिक विज्ञान की एक शाखा जिसमें पदार्थों द्वारा उत्सर्जित या अवशोषित विद्युत चुंबकीय विकिरणों के स्पेक्ट्रमों का अध्ययन किया जाता है और इस अध्ययन से पदार्थों की आंतरिक रचना का ज्ञान प्राप्त किया जाता है) की जानकारी देगा।
प्रक्षेपण के लिए तैयार XPoSat
इसरो के एक अधिकारी ने बेंगलुरु स्थित मुख्यालय में कहा, XPoSat प्रक्षेपण के लिए तैयार है। इसने कहा कि ब्लैकहोल, न्यूट्रॉन तारे, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, पल्सर पवन निहारिका जैसे विभिन्न खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन तंत्र जटिल भौतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होता है और इसे समझना चुनौतीपूर्ण है। अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि हालांकि विभिन्न अंतरिक्ष-आधारित वेधशालाओं द्वारा प्रचुर मात्रा में स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी प्रदान की जाती है, लेकिन ऐसे स्रोतों से उत्सर्जन की सटीक प्रकृति को समझना अभी भी खगोलविदों के लिए चुनौतीपूर्ण है। इसरो ने कहा, पोलारिमेट्री माप हमारी समझ में दो और आयाम जोड़ते हैं, ध्रुवीकरण की डिग्री और ध्रुवीकरण का कोण और इस प्रकार यह खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन प्रक्रियाओं को समझने का एक उत्कृष्ट तरीका है।
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