जल प्रलय: ISRO का खुलासा-हिमालय में बढ़ता जा रहा ग्लेशियल लेक्स का आकार, मंडरा रहा केदारनाथ हादसे जैसा एक और खतरा

Isro Report on Glaciers Melting: हिमालयी क्षेत्रों (Himalayan regions) में बनी ग्लेशियल लेक्स (Glacial Lakes) पर इसरो (ISRO) नजर रखता है। सैटेलाइट्स के जरिए इसरो इनका अध्ययन करता है, जिससे किसी भी खतरे से पहले बचाव का रास्ता निकाला जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लेशियल लेक्स का तेजी से विस्तार हो रहा है, जो मानव सभ्यता के लिए खतरे की घंटी है।

ग्लेशियल लेक्स पर इसरो की रिपोर्ट

Isro Report on Glaciers Melting: बर्फीले पहाड़ों से ढ़का हिमालय खतरे की घंटी बजा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण यहां बर्फ तेजी से पिघल रही है और ग्लेशियल लेक्स (Glacial Lakes) का आकार बढ़ता जा रहा है। अगर, ऐसे ही चलता रहा तो देश में कभी भी जल प्रलय आ सकती है। इसका खुलासा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की नई रिपोर्ट में किया गया है। इसमें कहा गया है कि भारतीय हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियर खतरनाक दर से पिघल रहे हैं, जिससे हिमनदीय झीलों (Glacial Lakes) का विस्तार हो रहा है।

इसरो की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ग्लेशियल लेक्स का विस्तार इसी तरह होता रहा तो ये कभी भी फट सकते हैं, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ आ सकती है और इसके विनाशकारी परिणाम भी हो सकते हैं। जैसे केदारनाथ, चमोली और सिक्किम जैसे हादसे हुए। यानी, भारत पर एक और हादसे का खतरा मंडरा रहा है।

इसरो करता है ग्लेशियल लेक्स की स्टडी

हिमालयी क्षेत्रों में बनी ग्लेशियर लेक्स पर इसरो नजर रखता है। सैटेलाइट्स के जरिए इसरो इनका अध्ययन करता है, जिससे किसी भी खतरे से पहले बचाव का रास्ता निकाला जा सके। इन ग्लेशियल लेक्स का इसरो को पास 1984 से 2023 तक डेटा है। इस डेटा के अध्ययन से पता चला है कि हिमालय क्षेत्र में चिह्नित ग्लेशियल लेक्स में से 27 प्रतिशत से अधिक का 1984 के बाद से उल्लेखनीय विस्तार हुआ है और इनमें से 130 भारत में हैं।

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