अच्छी खबर! चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से Chandrayaan-3 का हुआ संपर्क, बोला-'वेलकम बडी!'

Chandrayaan-3 Mission : इससे इसरो के मिशन ऑपरेशंस कॉम्पलेक्स (MOX) को चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल तक पहुंचने में अन्य जरिया हासिल हो गया है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि वह चंद्रयान-3 मिशन की लैंडिंग का सीधा प्रसारण बुधवार शाम पांच बजकर 20 मिनट पर शुरू करेगा।

Chandrayaan-3 Mission

चंद्रयान -3 मिशन पर दुनिया भर की नजरें टिकी हैं।

Chandrayaan-3 Mission : भारत के चंद्रयान-3 मिशन को लेकर लगातार अच्छी खबरें सामने आ रही हैं। चंद्रयान-3 का अब चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से संपर्क हो गया है। ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 का स्वागत किया है। इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-3 और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के बीच संवाद स्थापित हो गया है। इससे इसरो के मिशन ऑपरेशंस कॉम्पलेक्स (MOX) को चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल तक पहुंचने में अन्य जरिया हासिल हो गया है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि वह चंद्रयान-3 मिशन की लैंडिंग का सीधा प्रसारण बुधवार शाम पांच बजकर 20 मिनट पर शुरू करेगा।

चांद के सुदूर पार्श्व भाग की तस्वीरें जारी कीं

इससे पहले इसरो ने आज ‘लैंडर हजार्ड डिटेक्टशन एंड अवॉइडेंस कैमरा’ (एलएचडीएसी) में कैद की गई चंद्रमा के सुदूर पार्श्व भाग की तस्वीरें जारी कीं। एलएचडीएसी को इसरो के अहमदाबाद स्थित प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र ‘स्पेस ऐप्लीकेशंस सेंटर’ (एसएसी) ने विकसित किया है। यह कैमरा लैंडिंग के लिहाज से सुरक्षित उन क्षेत्र की पहचान करने में मदद करता है, जहां बड़े-बड़े पत्थर या गहरी खाइयां नहीं होती हैं।

14 जुलाई को रवाना हुआ चंद्रयान-3

अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के कई लक्ष्यों को हासिल करने के लिए लैंडर में एलएचडीएसी जैसी कई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं। चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 14 जुलाई को किया गया था और इसका मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की उपलब्धि हासिल करना है। इसरो ने रविवार को कहा कि रोवर के साथ लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम तकरीबन छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की संभावना है।

चंद्रयान-3 पर दुनिया भर की नजरें

भारत का यह मिशन बेहद अहम माना जा रहा है। इसरो का चंद्रयान-3 चंद्रमा के उस दक्षिणी हिस्से पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' करेगा जो हिस्सा अंधकारमय है। इस हिस्से में बड़े-बड़े गड्ढे और सतह उबड़-खाबड़ है। इसलिए यहां लैंडिंग करना ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। अमेरिका, रूस और चीन के अंतरिक्षयान भी चांद के इस हिस्से में नहीं उतरे। चंद्रयान-3 की कामयाबी चंद्रमा की उत्पत्ति एवं पृथ्वी के साथ उसके रिश्तों सहित एन्य रहस्यों से पर्दा उठाएगी।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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