चांद-सूरज के बाद अंतरिक्ष की गुत्थियां सुलझाएगा इसरो, साल के पहले दिन होगी XPoSAT लॉन्चिंग, जानें मिशन के बारे में

XPoSAT Mission Launching Date: सैटेलाइट का लक्ष्य ब्रह्मांड में 50 सबसे चमकीले ज्ञात स्रोतों का अध्ययन करना है, जिसमें पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बायनेरी, एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियाई, न्यूट्रॉन सितारे और नॉन-थर्मल सुपरनोवा शामिल हैं।

ISRO

एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat)को लॉन्च करेगा इसरो

XPoSAT Mission Launching Date: नए साल 2024 के पहले दिन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) की प्लानिंग बड़ा धमाका करने की है। इसरो अब चांद और सूरज के बाद अंतरिक्ष की गुत्थियों को सुलझाने की तैयारी कर रहा है। इसके मद्देनजर इसरो ने एक बड़े मिशन की घोषणा कर दी है। जानकारी के मुताबिक, 1 जनवरी 2024, को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी देश की पहली एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat)को लॉन्च करेगा। यह भारत का पहला मर्पित पोलारिमेट्री मिशन है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने घोषणा की है कि XPoSat मिशन पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का उपयोग करके सुबह 9:10 बजे लॉन्च होगा। यह भारत की अंतरिक्ष की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि

यह मिशन न केवल भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है, बल्कि 2021 में लॉन्च किए गए नासा के इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (IXPE) के बाद दुनिया का दूसरा मिशन भी है।

क्या है मिशन का उद्देश्य?

XPoSat मिशन अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन की जांच करेगा। इस सैटेलाइट को एक्स-रे स्रोतों के ध्रुवीकरण की जांच करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उनके स्रोतों की तस्वीरें लेगा। मिली जानकारी के मुताबिक, इस सैटेलाइट का लक्ष्य ब्रह्मांड में 50 सबसे चमकीले ज्ञात स्रोतों का अध्ययन करना है, जिसमें पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बायनेरी, एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियाई, न्यूट्रॉन सितारे और नॉन-थर्मल सुपरनोवा शामिल हैं। इसरो इस सैटेलाइट को 500-700 किमी की गोलाकार निचली पृथ्वी कक्षा में स्थापित करेगा, जिसका मिशन जीवनकाल कम से कम पांच वर्ष होगा। इस सैटेलाइट के साथ दो पेलोड भी जाएंगे। प्राथमिक पेलोड, POLIX (एक्स-रे में पोलारिमीटर उपकरण), खगोलीय मूल के 8-30 केवी फोटॉनों की मध्यम एक्स-रे ऊर्जा रेंज में ध्रुवीकरण की डिग्री और कोण को मापेगा। दूसरो पेडलोड POLIX का पूरक XSPECT (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग) पेलोड 0.8-15 keV की ऊर्जा रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी प्रदान करेगा।

480 किलोग्राम भारी है सैटेलाइट

XPoSat सैटेलाइट कुल 480 किलोग्राम वजनी है। साथ ही इसमें 144 किलोग्राम के दो पेलोड्स भी लगे हैं। इस सैटेलाइट को श्रीहरिकोट के सतीश धवन स्पेस सेंटर से पीएसएलवी से लॉन्च किया जाएगा। यह पीएसएलवी की 60वीं उड़ान होगी। इस मिशन के कुछ ही दिन बाद यानी 6 जनवरी को इसरो का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 भी सूर्य के निकटतम बिंदु एल1 पर पहुंचेगा।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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