Chandrayaan-3: इस बार का मिशन है बेहद खास, इसरो लगाएगा अंतरिक्ष में लंबी छलांग, जानिए अहम बातें
2019 में चंद्रयान -2 मिशन में सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चुनौतियों का सामना करने के बाद यह इसरो की एक और बड़ी कोशिश होगी।
Chandrayaan-3
Chandrayaan-3 Launching: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से अपना तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान -3 लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसरो ने मिशन के लिए लॉन्च तैयारी और प्रक्रिया के तहत पहले ही 24 घंटे का 'लॉन्च रिहर्सल' शुरू कर दिया है। चंद्रयान मिशन को 14 जुलाई दोपहर 2.35 बजे श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM3) पर लॉन्च किया जाएगा। 2019 में चंद्रयान -2 मिशन में सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चुनौतियों का सामना करने के बाद यह इसरो की एक और बड़ी कोशिश होगी। पिछली बार विक्रम चंद्र लैंडर के शुरुआती घंटों के दौरान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद यह मिशन विफल हो गया था।
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भारत का ये महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अगर सफर रहा तो देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक लंबी छलांग लगाएगा। चंद्रयान-3 के लिए रॉकेट असेंबली पूरी हो चुकी है और इसरो के लिए केवल अंतिम दौर का परीक्षण बाकी है। अंतरिक्ष विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, अंतरिक्ष यान पूरी तरह से एकीकृत है और पेलोड का काम भी पूरा हो चुका है। लॉन्च व्हीकल को वाहन असेंबली भवन से दूसरे लॉन्चपैड पर ले जाने सहित सभी काम पूरे हो चुके हैं।
मिशन की अहम बातें जानिए
- चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल, एक प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है।
- इसका उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशनों के लिए जरूरी नई तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना है।
- लैंडर में एक निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी, जो चलने के दौरान चंद्र सतह का इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करेगा।
- लैंडर और रोवर के पास चंद्र सतह पर प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक पेलोड होंगे।
- चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा।
- प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फिगरेशन को 100 किमी चंद्र कक्षा तक ले जाएगा।
- रॉकेट की असेंबली इसरो के बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) में की गई, जिसके बाद इसे लॉन्च के लिए श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष बंदरगाह भेजा गया।
- भारत का चंद्रयान कार्यक्रम इसरो द्वारा बाहरी अंतरिक्ष मिशन की एक सतत श्रृंखला है। पहला चंद्रमा रॉकेट चंद्रयान -1 साल 2008 में लॉन्च किया गया था और सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया था।
- चंद्रयान -2 को 2019 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया और चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया, लेकिन 6 सितंबर, 2019 को एक सॉफ्टवेयर गड़बड़ी के कारण उतरने का प्रयास करते समय इसका लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
इस बार का मिशन
चंद्रयान-3 मिशन चंद्र रेजोलिथ के थर्मोफिजिकल गुणों, चंद्र भूकंपीयता, चंद्र सतह प्लाज्मा वातावरण और लैंडर के उतरने के स्थल के आसपास के क्षेत्र में मौलिक संरचना का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक उपकरण ले जाएगा। इसरो के अधिकारियों के अनुसार, लैंडर और रोवर पर इन वैज्ञानिक उपकरणों का दायरा जहां चंद्रमा के विज्ञान थीम में फिट होगा, वहीं एक अन्य प्रायोगिक उपकरण चंद्र कक्षा से पृथ्वी के स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्रिक सिग्नेचर का अध्ययन करेगा, जो चंद्रमा से विज्ञान थीम में फिट होगा।
परीक्षणों पर खरा उतरा है यान
इस साल मार्च में, चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान ने आवश्यक परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया था जिससे प्रक्षेपण के दौरान आने वाले कठोर कंपन और ध्वनिक वातावरण का सामना करने की अंतरिक्ष यान की क्षमता की पुष्टि हुई। ये परीक्षण इस तथ्य के मद्देनजर विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण थे कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान, जिसे एलवीएम-3 (प्रक्षेपण यान मार्क-3) (पहले जीएसएलवी एमके-3 के रूप में जाना जाता था) द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा। यह तीन मॉड्यूल- प्रणोदन, लैंडर और रोवर का एक संयोजन है।
उपकरणों की खासियत
प्रणोदन मॉड्यूल में चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय माप का अध्ययन करने के लिए ‘स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्रिक ऑफ हैबिटेबल प्नैनेट अर्थ’ (एसएचएपीई) नामक उपकरण है और यह लैंडर तथा रोवर को चंद्र कक्षा के 100 किलोमीटर तक ले जाएगा। चंद्र लैंडर से संबंधित उपकरणों में तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए 'चंद्र सर्फेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट'; लैंडर के उतरने के स्थल के आसपास भूकंपीयता को मापने के वास्ते 'इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सिस्मिसिटी एक्टिविटी और प्लाज्मा घनत्व एवं इसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए 'लैंगमुइर प्रोब' नामक उपकरण हैं।
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